My mother and I are like,
GOD and HIS creation!
To bring peace in her life,
Should be my passion!-
I'm spiritually inclined and remain absorb... read more
ममता की मूरत हो तुम!
ईश्वर की सूरत हो तुम!
पंचतत्व में रूपायन हेतु
रूह की ज़रूरत हो तुम!-
!
जानो जो रब तो जानो वो हर कहीं!
मानो या जानो, सब हो या हो रब,
ठानो तो मिले न ठानो तो कुछ नहीं!-
!
जग के व्यर्थ खटराग से!
मिलेगी मुक्ति तुम्हें केवल,
अपनी आत्मा के जाग से!-
आ!
खेलें होली!
ओ मेरे हमजोली!
खूब लगाएं रंग गुलाल!
मिल कर मचाएं खूब धमाल!
भर भर मारें प्रेम की पिचकारी!
हुड़दंग देख कर दंग हो दुनिया सारी!-
होली आई रंग रंगीली,
खेलो संग रंग-गुलाल!
इक दूजे से मिलो गले,
भुला कर रंजो मलाल!-
सन्त-वाणी
साधना के लिये जो कुछ करना पड़े, सब करना; परन्तु उसमें भी प्रभुकृपा का प्रताप ही समझना, अपना पुरुषार्थ नहीं।
जो ईश्वर के नज़दीक आ गया,
उसे किस बात की कमी ?
सभी पदार्थ और सारी सम्पत्ति उसी की है,
क्योंकि- उसका परम प्रिय सखा
सर्वव्यापी और सारी सम्पत्ति का स्वामी है।-
मोहब्बत से तुमने मिलाया है मुझ को!
मेरा खोया सुकून दिलाया है मुझ को!
पशेमाँ था मैं जमाने के स्याह अंधेरों में,
पे नूरे खुदा तुमने दिखाया है मुझ को!-