Vijay Nisarg   (Vijay 'Nisarg')
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Joined 18 May 2020


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Joined 18 May 2020
YESTERDAY AT 10:58

My mother and I are like,
GOD and HIS creation!
To bring peace in her life,
Should be my passion!

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YESTERDAY AT 10:41

ममता की मूरत हो तुम! 
ईश्वर की  सूरत हो तुम!
पंचतत्व में रूपायन हेतु
रूह की ज़रूरत हो तुम! 

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3 APR AT 14:34

!
जानो जो रब तो जानो वो हर कहीं!
मानो या जानो, सब हो या हो रब,
ठानो तो मिले न ठानो तो कुछ नहीं!

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17 MAR AT 16:57

!
जग के व्यर्थ खटराग से!
मिलेगी मुक्ति तुम्हें केवल,
अपनी आत्मा के जाग से!

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14 MAR AT 12:45

आ!
खेलें होली!
ओ मेरे हमजोली!
खूब लगाएं रंग गुलाल!
मिल कर मचाएं खूब धमाल!
भर भर मारें प्रेम की पिचकारी!
हुड़दंग देख कर दंग हो दुनिया सारी!

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13 MAR AT 15:03


We get assured about
God's lively presence
In life without doubt!



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13 MAR AT 14:41

होली आई रंग रंगीली, 
खेलो संग  रंग-गुलाल! 
इक दूजे से मिलो गले, 
भुला कर रंजो मलाल!

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12 MAR AT 15:42

सन्त-वाणी

साधना के लिये जो कुछ करना पड़े, सब करना; परन्तु उसमें भी प्रभुकृपा का प्रताप ही समझना, अपना पुरुषार्थ नहीं।
जो ईश्वर के नज़दीक आ गया,
उसे किस बात की कमी ?
सभी पदार्थ और सारी सम्पत्ति उसी की है,
क्योंकि- उसका परम प्रिय सखा
सर्वव्यापी और सारी सम्पत्ति का स्वामी है।

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12 MAR AT 15:31

!
खुदी खोकर खुद में समाया है मुझ को!


-


12 MAR AT 14:25

मोहब्बत से तुमने मिलाया है मुझ को!
मेरा खोया सुकून दिलाया है मुझ को!
पशेमाँ था मैं जमाने के स्याह अंधेरों में,
पे नूरे खुदा तुमने दिखाया है मुझ को!

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