Vijay Nisarg   (Vijay 'Nisarg')
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Joined 18 May 2020


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Joined 18 May 2020
6 JUL AT 13:09

नींद उड़ाई, 
चैन लुटाया! 
बेताब  हुए, 
होश गंवाया!

खुद को खोके,
तुम को पाया!
तुम जो मिले,
सुकून  आया!

विलुप्त हुआ,
ग़म का साया!
मक़सदे जां,
हमने  पाया!

-


6 JUL AT 11:27

मिली सपनों की मंजिल, 
कठिन मेहनत रंग लाई! 
इस अनूठी कामयाबी पे, 
तुम्हें लाख लाख बधाई! 

मातपिता की दुआ फली, 
फली बहनों  की दुहाई! 
यूँही आगे बढ़ते रहो तुम, 
जीवन जियो हाई-फाई! 

-


2 JUL AT 0:11

,
दु:ख-दर्द समझ ना आता!
जब तक जीवन दे सुभीते,
अध्यात्म समझ ना आता!

-


27 JUN AT 15:18

खाली हो जाओ थोड़ा,
यह मन बहुत भगोड़ा!
रब को पाया हमने तब,
जब मन भीतर मोड़ा!

खाली हो जाओ थोड़ा,
ताकि भर सको रब से!
तुमको तुमसे मिलना ,
जीना है रूहानी ढब से!

-


27 JUN AT 14:32

या रब मेरी सांसों की सांस
मैं तुझ पे बलि बलि जाऊं! 
झलक दिखाके छिप रहा, 
विरहा में जलि जलि जाऊँ! 
देखा जो तेरा रूप सुहाना, 
तुझी में ढलि  ढलि जाऊं! 
जबसे तुझको अन्दर जाना, 
तुझी को गलि गलि पाऊँ! 
माया मुई पीछा नहीं छोड़े, 
पुनि पुनि छलि छलि जाऊँ! 
शुद्ध किया जाए ना मनवा, 
शरम से गलि -गलि जाऊँ!
जब जब भी मैं भलि बनूँ, 
दुनिया भलि -भलि पाऊँ! 
राग न जानूँ, ताल न जानूँ, 
नाचूँ औ' अलि अलि गाऊँ! 

-


17 MAY AT 9:42


आत्म-बल पर यकीं कर लो।
फिर दूर नहीं तुमसे मंजिल,
उठो, अपनी बाहों में भर लो।

-


11 MAY AT 10:58

My mother and I are like,
GOD and HIS creation!
To bring peace in her life,
Should be my passion!

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11 MAY AT 10:41

ममता की मूरत हो तुम! 
ईश्वर की  सूरत हो तुम!
पंचतत्व में रूपायन हेतु
रूह की ज़रूरत हो तुम! 

-


3 APR AT 14:34

!
जानो जो रब तो जानो वो हर कहीं!
मानो या जानो, सब हो या हो रब,
ठानो तो मिले न ठानो तो कुछ नहीं!

-


17 MAR AT 16:57

!
जग के व्यर्थ खटराग से!
मिलेगी मुक्ति तुम्हें केवल,
अपनी आत्मा के जाग से!

-


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