VIJAY LAXMI THAPLIYAL   (Vijaya)
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Indian
Joined 30 May 2022


Indian
Joined 30 May 2022
18 MAY AT 10:28

अपने उन रिश्तेदारों से सदैव सावधान रहें, जो दूसरों की आपसे बुराई कर रहे होते हैं और स्वयं उनके साथ अच्छे सम्बंध बना कर रखते हैं।

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17 MAY AT 22:39

अम्बर से दूर बादलों की आगोश में, कहीं चांद की परछाई तले, हिचकोले खा रहे थे हम, आंख खुली तो ख्वाब टूट गया।

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16 MAY AT 22:35

Waiting, waiting, waiting
Weekend and me
Guest, Guest, Guest
They also waiting
Weekend, weekend, weekend
Then me, kitchen and my
Weekend, weekend, weekend.

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15 MAY AT 23:18

हमने तो कुछ कहा नहीं
तुम उसे अपना समझ बैठे?
वो क़ुदरत है हमारी,
उसे चाहत अपनी बना बैठे?
दीवारों दरख्त को जर्रा जर्रा कर देंगे,
जो अबकी हम ठान बैठे।
हलक से निकाल लेंगे निवाला,
जो अपनी पे हम आ बैठे ।
फितरत से अपनी बाज़
न आओगे तुम गर,
आओ, देखो हम
आतंक की कब्र खोदे हैं, बैठे।
हमने तो कुछ अभी किया नहीं
और तुम जाकर गैरों का
सहारा ले बैठे?
वो "भाल "है भारत का,
और तुम उसे अपना समझ बैठे?


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15 MAY AT 20:22

हथेली की रेखाओं में सिमटे थे,
कुछ अपने कुछ बेगाने
कुछ मिले, कुछ हुए अनजाने
ज़िंदगी कुरेद गई तुम आज
ज़ख्म पुराने
"जिंदगी "हो तुम जिंदगी
जिंदगी को कौन समझे कौन जाने?

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15 MAY AT 0:29

अभी नहीं, कभी नहीं चाहिए
मदद के लिए आपका हाथ।
अभी एक मुक़ाम, एक मंज़िल
अकेले तय करने दीजिए।

गुमसुम हवा के झोंकों को तब्दील होने दीजिए
संसनाते झंझावातों में।
शीत रात्रि की रेत को तपने दीजिए
ग्रीष्म के तापों में।
नाज़ुक शीतल बूँदों को बदलने दीजिए
विशाल धाराओं में।
सागर की शांत लहरों को बदलने दीजिए
अमावस के ज्वारों में।

अभी नहीं, कभी नहीं चाहिए
मदद के लिए आपका हाथ।
अभी एक पथ, एक पड़ाव
अकेले तय करने दीजिए।
टिमटिमाती लौ को तब्दील होने दीजिए
बजरंग ज्वालाओं में ।
हमारी आँख के हर आसूं को तब्दील होने दीजिए
धधकते अंगारों में।
हमारे संयम के बाँध को बदलने दीजिए
उफनते सैलाबों में
और हमारे तरकश के तीरों को खाली होने दीजिए
सरहद पार आतंक के घावों में ।
अभी नहीं, कभी नहीं चाहिए
मदद के लिए आपका हाथ।
अभी एक सफर, एक संघर्ष
अकेले तय करने दीजिए।

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14 MAY AT 17:39

गोले, बारुद, मिसाइल उनके पास भी थे, बात केवल अनुभव की है।

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13 MAY AT 20:44

जीवन में जब कभी हार का सामना करना पड़े और हताशा हो, तो एक बार अपने माता-पिता का बलिदान जरूर याद करना चाहिए। एक अलग प्रकार की ऊर्जा का संचार महसूस होगा।

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6 MAY AT 8:11

घनघोर घनेरे बादलों में सिमटती संध्या,
सारी परछाईयों को आगोश में भरता
अंधेरा, और ये शाम का वीरान नजारा,
दिल को छेड़ जाता है।
पल - पल याद तुम्हारी दिलाता है।

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3 MAY AT 10:23


रात का अन्धेरा कितना भी गहरा क्यूँ ना हो, सूरज की एक किरण से नेस्तनाबूद हो जाता है।

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