फर्क पड़ता है..
बेबस होकर लिखने से, पेट की खातिर बिकने से
फर्क पड़ता है..
अकेले भटकते कदमों से, हर दिन मिलते सदमों से
फर्क पड़ता है.
खाली बैंक खाते से, झूठे रिश्ते नाते से
फर्क पड़ता है..
तन्हा अकेले रोने से करवट बदल बदलकर सोने से
फर्क पड़ता है
किसी के होने से, किसी को खोने से
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सड़कों पर लावारिस मौत, मरते जानवर
घरों के अंदर हिंसा और अलगाव झेलते वृद्ध
खत्म होते हुए गिद्ध और गिद्ध बनते आदमी
अंधा कानून और कानून से अंधा बनाती सरकारें
खत्म होते रिश्ते और पनपती हुई बीमारियां
शिकारियों पर लगती पाबंदी और शिकार होती बेटियां
उत्तेजना बेचते विज्ञापन और दम तोड़ती प्रतिभाएं
कचरों में जलती किताबें और धड़ाधड़ बिकती तलवारें
परिवारों में बढ़ रही दरारें,और खून से सनी हुई अखबारें
ये और कुछ नहीं,नई सदी के सभ्य समाज की उपलब्धियां हैं।
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सब कुछ तो खो चुका हूं...
अब बचा ही क्या है खोने को!
अब किस बात का रोना हैं...
अब बचा ही क्या है और होने को!
की यार छुटे - घरबार छुटे
खो दिया मैंने प्यार भी...
की सपना टूटा ख्वाब बिखरे
थे जो पूरा होने को...
अब क्यों बैठा रो रहा...
अब बचा ही क्या है खोने को!!
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“मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ
फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ
कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर
मैं साँसों के दो तार लिए फिरता हूँ”-
वहम था कि सारा बाग़ अपना है तूफान के बाद पता चला... सूखे पत्तों पर भी... हक़ हवाओं का है...!!
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आख़िरी बात"
आख़िरी बात तो अभी कही जानी है
यह जो कुछ कहा है आख़िरी बात कहने के लिए ही कहा है
आख़िरी बात तो दोस्त बरसात की तरह कही जाएगी बौछारों में और जो परनाले चलेंगे पिछली तमाम बातें उनमें बह जाएँगी
बातों-बातों में बातों की बेबुनियाद इमारतें ढह जाएँगी फिर उसके बाद कोई बात कहने की ज़रूरत नहीं रह जाएगी
आख़िरी बात कह डालने के लिए ही जिए जा रहा हूँ जीता रहूँगा आख़िरी बात कहे जाने तक।-
आख़िरी बात"
आख़िरी बात तो अभी कही जानी है
यह जो कुछ कहा है आख़िरी बात कहने के लिए ही कहा है
आख़िरी बात तो दोस्त बरसात की तरह कही जाएगी बौछारों में और जो परनाले चलेंगे पिछली तमाम बातें उनमें बह जाएँगी
बातों-बातों में बातों की बेबुनियाद इमारतें ढह जाएँगी फिर उसके बाद कोई बात कहने की ज़रूरत नहीं रह जाएगी
आख़िरी बात कह डालने के लिए ही जिए जा रहा हूँ जीता रहूँगा आख़िरी बात कहे जाने तक।
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कपड़े और चेहरे अक्सर झूठ बोलते हैं,
इंसान की असलियत वक्त बताता है..-
इंसान की समझ बस इतनी सी है कि
उसे जानवर कहो तो नाराज़ हो जाता है,
और शेर कहो तो खुश हो जाता है |||-
ज़िंदगी में मौका देने वाले भी मिलेंगे,
और धोखा देने वाले भी मिलेंगे.
जो मौका दे, उसे धोखा कभी मत दो.
जो धोखा दे, उसे मौका कभी मत दो.-