Vijay K. Dhangar   (अल्फाज़ मेरे एहसासों के)
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Joined 7 July 2025


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10 JUL AT 17:58

अगर कभी तू टूटे तो मैं संभाल लूँ तुझे,
तेरे आंसुओं को अपनी पलकों से चुरा लूँ मैं।
तेरे ग़म को अपनी रूह में कहीं छुपा लूं मैं,
तेरी हँसी से ही अपनी किस्मत सजा लूँ मैं।

तेरा हर ख्वाब हकीकत बनकर खिल जाए,
तेरे हिस्से का हर दुख मुझमें ही खो जाए।
तमन्ना बस इतनी है मेरी दुआओं में,
मैं तुझमें जियूँ और तुझमें ही खो जाऊँ।

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10 JUL AT 17:50

तेरे नाम की मिट्टी में खुद को मिला दूँ मैं, तेरे सांसों की आग में हर ख्वाब जला दूँ मैं।
ये जिस्म तो राख हो जाएगा इक दिन मगर, तेरी रूह में खुद को हमेशा बसा लूं मैं।

न कोई पर्दा, न कोई सरहद रहे दरमियाँ, इश्क़ में ये दूरी कैसी, मिटा दूँ मैं।
भस्म हो जाऊँ मगर तुझमें ही समा जाऊँ, इस बंदगी को खुदा से भी छुपा लूं मैं।

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10 JUL AT 17:39

काश वो गलती न की होती,
खुद को ही सजा दे दी बेवजह हमने।
एक बेवफा से दिल लगाकर तन्हा रह गए,
अपने भरोसे को खुद ही तोड़ बैठे हम।

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10 JUL AT 11:45

तुम्हारी आवाज के इस कदर दीवाने हुए हैं हम,
हर लफ़्ज़ में अपना सुकून पाने लगे हैं हम।
कभी ख्वाबों में, कभी तन्हाई में वो गूंजती है,
अब तो खामोशियों में भी तुम्हें सुनने लगे हैं हम।

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10 JUL AT 11:38

दोस्ती में भी कहीं प्यार छुपा रहता है,
हर हँसी के पीछे इक इज़हार छुपा रहता है।
कभी दोस्ती से मोहब्बत तक का सफ़र आसान नहीं,
पर सच्चा प्यार अक्सर दोस्त बनकर ही पनपता है।

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10 JUL AT 11:33

ख्वाबों को किसी ने कभी पाया है,
अधूरी रातों में बस इन्हें ही सजाया है।
मुकम्मल हो जाएं तो ख्वाब ख्वाब कहाँ रहते,
टूटकर भी इन्होंने ही दिल को बचाया है।

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10 JUL AT 10:50

इस जिंदगी से प्यार करना सीखिए,
सुकून तो बस एक दिखावटी हकीकत है।
जो मुस्कान में भी दर्द छुपा ले जाए,
वही इंसान आज की सबसे बड़ी ताक़त है।

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10 JUL AT 10:13

सहारे तलाश लिए हमने इस कदर उसमें,
अब खुद की भी जरूरत महसूस नहीं होती।
जिसे चाहा था खुद से भी ज्यादा कभी,
उसी को खोने की अब हिम्मत भी नहीं होती।

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10 JUL AT 9:51

मुकाम वो ही पाता है जो डर से लड़ जाता है,
तूफानों में भी जो दिया बनकर जल जाता है।
इतिहास रुककर नहीं, बढ़कर लिखा जाता है,
जो साहस से जीता है, वही कुछ नया कर जाता है।

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10 JUL AT 9:45

Tu safar mera, hai tu hi meri manzil
Tere bina guzara, ae dil, hai mushkil
Tu mera Khuda, tu hi dua mein shaamil
Tere bina guzara, ae dil, hai mushkil

Mujhe aazmaati hai teri kami
Meri har kami ko hai tu laazmi

Junoon hai mera, banoon main tere qaabil
Tere bina guzara, ae dil, hai mushkil

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