अकेलेपन से गर तकलीफ़ होती है तो अच्छा है
किसी कारन से गर तकलीफ़ होती है तो अच्छा है
किसी से रूठ पाने में या रूठों को मनाने में
हमें बचपन से गर तकलीफ़ होती है तो अच्छा है-
उतनी जल्द गुज़र जाते हैं
यार मिलो उनसे तो कहना
हम भी अब दफ़्तर जाते हैं... read more
Wo jisko humse bepanaah pyaar tha
Ab usko aitbaar bhi nahin raha
Kisi ke hum bhi raazda'n nahin rahe
Koi humara Yaar bhi nahin raha
- YAAR Vijay-
किसी का ग़म उधार भी नहीं रहा
दिल अब तो सोगवार भी नहीं रहा
वो इतनी जल्दी आ गया है लौट कर
के लुत्फ़-ए-इंतज़ार भी नहीं रहा
दुआएं दे दीं हमने बद्दुआओं में
ज़ुबां पे इख़्तियार भी नहीं रहा
ग़म इस का है नहीं के मैं बिछड़ गया
कोई मुझे पुकार भी नहीं रहा
किसी का दिल दुखायें ना तो क्या करें
जो कोई कारोबार भी नहीं रहा
गुज़र रही है जाने क्यूँ ये जिंदगी
अजब है, मैं गुज़ार भी नहीं रहा
मकीं बेचारा क्या करे मकान का
वो जब किरायेदार भी नहीं रहा
किसी के हम भी राज़दां नहीं रहे
कोई हमारा 'यार' भी नहीं रहा-
तुझ ऐसे क़ातिल अब इस जहां में कहां मिलेंगे
के जिन के पास ऐसे तेग़ तीर-ओ-कमां मिलेंगे
वो हम पे छोड़ो कि किस तरह और कहां मिलेंगे
बस इक दफ़ा तुम तो इतना कह दो कि 'हां मिलेंगे'
हम एक मुद्दत के बाद भी जब जहां मिलेंगे
बदन तो बूढ़े मिलेंगे पर दिल जवां मिलेंगे
हमें अगर ढूंढना हो तो आंखें बंद करना
हम एक खुशबू हैं फूल ही में निहां मिलेंगे
हमें समंदर की बाहों में ही सुकूं मिलेगा
हम ऐसे दरिया जहाँ मिलेंगे रवां मिलेंगे
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इक हवा थी इक दीया था और फिर अंजाम था
क्या सुनाएं तुमको अपनी दास्तां कुछ भी नहीं-
जो भी कुछ था सारा गुम है
क्या बतलाएं क्या क्या गुम है
शाम से उसको ढूंढ रहा हूँ
मेरा अपना साया गुम है
वो गुम है अपनी दुनिया में
और हमारी दुनिया गुम है
शोर मिला है जैसे तैसे
अब देखो सन्नाटा गुम है
पहले उसको ढूंढ के लाओ
जो मुझसे भी ज़्यादा गुम है
हाय हमारी लापरवाही
दिल का आधा हिस्सा गुम है
कैसे खेल बढ़ाएं आगे
रानी गुम है प्यादा गुम है
'यार' तुम्हारी तस्वीरों में
सब कुछ है बस राधा गुम है-
तुमको नीचे सोने में गरमी तो नी लगती ना ,
ऊला का मिसरा पूछ रहा है ये मिसरा ए सानी से।
- ' यार ' विजय-
किसी कारन से गर तकलीफ़ होती है तो अच्छा है
अकेलेपन से गर तकलीफ़ होती है तो अच्छा है
किसी से रूठ पाने में या रूठों को मनाने में
हमें बचपन से गर तकलीफ़ होती है तो अच्छा है
मुझे तकलीफ़ दे दे कर सुकूं पाया था अब उसको
मेरी दुल्हन से गर तकलीफ़ होती है तो अच्छा है
अगर तकलीफ़ ही ना हो तो जीने में मज़ा क्या है
सो इस जीवन से गर तकलीफ़ होती है तो अच्छा है
फ़िराक़ ए 'यार' में होता है रोशन ये सुख़न यानी
हमें बिछड़न से गर तकलीफ़ होती है तो अच्छा है-
I am that much habitual to love you without you , that now i don't need even you to love you.
_ Yaar-