Vijay Gautam   ('यार' विजय)
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Joined 24 May 2017


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Joined 24 May 2017
23 MAY 2022 AT 14:11

अकेलेपन से गर तकलीफ़ होती है तो अच्छा है
किसी कारन से गर तकलीफ़ होती है तो अच्छा है

किसी से रूठ पाने में या रूठों को मनाने में
हमें बचपन से गर तकलीफ़ होती है तो अच्छा है

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24 APR 2022 AT 12:51

ग़ज़ल पूरी हो कैसे ज़िंदगी की
बहुत मुश्किल हमारा क़ाफ़िया है

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7 MAR 2022 AT 16:42

Wo jisko humse bepanaah pyaar tha
Ab usko aitbaar bhi nahin raha

Kisi ke hum bhi raazda'n nahin rahe
Koi humara Yaar bhi nahin raha

- YAAR Vijay

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27 FEB 2022 AT 0:39

किसी का ग़म उधार भी नहीं रहा
दिल अब तो सोगवार भी नहीं रहा

वो इतनी जल्दी आ गया है लौट कर
के लुत्फ़-ए-इंतज़ार भी नहीं रहा

दुआएं दे दीं हमने बद्दुआओं में
ज़ुबां पे इख़्तियार भी नहीं रहा

ग़म इस का है नहीं के मैं बिछड़ गया
कोई मुझे पुकार भी नहीं रहा

किसी का दिल दुखायें ना तो क्या करें
जो कोई कारोबार भी नहीं रहा

गुज़र रही है जाने क्यूँ ये जिंदगी
अजब है, मैं गुज़ार भी नहीं रहा

मकीं बेचारा क्या करे मकान का
वो जब किरायेदार भी नहीं रहा

किसी के हम भी राज़दां नहीं रहे
कोई हमारा 'यार' भी नहीं रहा

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25 FEB 2022 AT 15:36

तुझ ऐसे क़ातिल अब इस जहां में कहां मिलेंगे
के जिन के पास ऐसे तेग़ तीर-ओ-कमां मिलेंगे

वो हम पे छोड़ो कि किस तरह और कहां मिलेंगे
बस इक दफ़ा तुम तो इतना कह दो कि 'हां मिलेंगे'

हम एक मुद्दत के बाद भी जब जहां मिलेंगे
बदन तो बूढ़े मिलेंगे पर दिल जवां मिलेंगे

हमें अगर ढूंढना हो तो आंखें बंद करना
हम एक खुशबू हैं फूल ही में निहां मिलेंगे

हमें समंदर की बाहों में ही सुकूं मिलेगा
हम ऐसे दरिया जहाँ मिलेंगे रवां मिलेंगे

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18 FEB 2022 AT 10:59

इक हवा थी इक दीया था और फिर अंजाम था
क्या सुनाएं तुमको अपनी दास्तां कुछ भी नहीं

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3 JAN 2022 AT 16:53

किसी कारन से गर तकलीफ़ होती है तो अच्छा है
अकेलेपन से गर तकलीफ़ होती है तो अच्छा है

किसी से रूठ पाने में या रूठों को मनाने में
हमें बचपन से गर तकलीफ़ होती है तो अच्छा है

मुझे तकलीफ़ दे दे कर सुकूं पाया था अब उसको
मेरी दुल्हन से गर तकलीफ़ होती है तो अच्छा है

अगर तकलीफ़ ही ना हो तो जीने में मज़ा क्या है
सो इस जीवन से गर तकलीफ़ होती है तो अच्छा है

फ़िराक़ ए 'यार' में होता है रोशन ये सुख़न यानी
हमें बिछड़न से गर तकलीफ़ होती है तो अच्छा है

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26 DEC 2021 AT 22:22

I am that much habitual to love you without you , that now i don't need even you to love you.

_ Yaar

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31 JUL 2021 AT 11:24

करनी है मुझे ख़ुद से शनासाई ज़रा और
सो चाहिए मुझे मेरी तन्हाई ज़रा और

मिल जाए तेरे फूल से होठों की छुअन तो
बढ़ जाए मेरी आँखों की बीनाई ज़रा और

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8 MAR 2021 AT 13:12

मोजज़ा किसके तख़य्यूल से हुआ
किस मुसव्विर का ख़्वाब थी औरत

चाक पे रक्खे गए थे सब अज़ाब
तब किसी ने ईजाद की औरत

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