मन का, हो तो अच्छा |
न हो तो, और भी अच्छा ||
-वीर रैकवार-
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दिल ने कई दफा कोशिश की...
तुझसे मोहब्बत करने की..
पर तेरे अतीत ने यह होने ना दिया !!
- वीर रैकवार-
जाने किस दौर से गुजर रहा हूं...
पता नहीं ?
अब तो बस चला जा रहा हूं, चला जा रहा हूं...!!-
सादगी तेरी ऐसी,
तुझे देखने का दिल बार बार करें...
देखो मोहब्बत भी है तुमसे,
बस तुझे बताने से दिल डरे !!
- वीर रैकवार-
आंजने में मिला है वो,
सच्चा और मस्ताना वो !
कर के बात उससे खुश हो जाता हूं...
क्यू की शायद अब मेरी,
हर खुशी का रास्ता है वो !!
- वीर रैकवार,-
सोचता रहता हूं जिसके बारे में हर वक्त,
क्या वो भी कभी मेरा नाम लेती होगी !
जिसे अपना बनाने का सपना देख रहा हूं...
क्या वो भी कभी सपने में मुझे देखती होगी!!
वीर रैकवार...-
कैसे कह दूं समझ नहीं आता !
क्योंकि अब तो रहा नहीं जाता !!
-वीर रैकवार-
किसी एक की बात हो तो कहुं...
मुझे तो हर मोड़ पर नई-नई परियाँ मिली है...
दिल भी लगाया है उनसे !
तो कुछ ने हमसे !!
पर तलाश फिर भी जारी है...
या यूं कहू तो मुलाकात हो गयी है उनसे
बस कहना बाकी है.....
- वीर रैकवार-
माना इजहार नहीं किया,
पर मोहब्बत नही, इस बात से,
इनकार भी तो नहीं किया !!-
अजनबीयों की तरह था तेरा मिलना !
अनजानो की तरह था मेरा प्यार करना !
लाख कोशिश की बताने की ....
पर जब तुझे देख कर ही दिल को सुकून मिल जाता...!
तो रहने देता .....!
खामोश उन लाबो को ..
जो हर वक्त तुझसे, कहने को बेकरार थे ...
मेरे अनकहे प्यार को !
अनजाने में ही सही, पर मुलाकात तो हुई
जानते भी नहीं, पर बात तो हुई,
फिर कुछ पल साथ बिताया,
तो पता चला उनकी आदतें थी मुझमें से कई !!
यूं तो उन्हें अजनबी समझ रहा था !
पर वो निकले अपनों से भी बढ़कर कहीं !!
यूं तो साथ छोड़ देते हैं सभी,
पर जिस तरह थाम कर रखा है हाथ मेरा,
कहीं मोहब्बत की महक यही तो नहीं !!
अब मुलाकात होती नहीं ,तो क्या हुआ ?
बात तो होती है सुबह शाम कहीं !!-