जो पगली हो गर मीरा जैसी तुम , तो
मुझको भी अब सांवरा श्याम बनाओ।।
मिट जाने दो अब मुझे प्रेम में अपने ,
अपनी खातिर मुझे तुम कुर्बान बनाओ ।।
०७:३७ अपरान्ह।-
Assistant Teacher
शानदार।। जबरदस्त।। जिन्दाबाद।।
जो पगली हो गर मीरा जैसी तुम , तो
मुझको भी अब सांवरा श्याम बनाओ।।
मिट जाने दो अब मुझे प्रेम में अपने ,
अपनी खातिर मुझे तुम कुर्बान बनाओ ।।
०७:३७ अपरान्ह।-
बेशक ये जंगल तुम्हे वीरान सा लगे ,
लेकिन यह खुद में एक जहाँ लिए है।।-
लगा के हाथों में रंग मेहंदी का ,
इक रिश्ते को वो अपने नाम कर गई।
बन्दिशों में इस जहान के ,
शायद वो कोई भूल कर गई ।।
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अपनी शर्तों पे गुजारी जा रही है यूँ फ़क़त ज़िन्दगी,
उसके तर्कों का अब निशां भी न ठहरता है इधर।।-