Vighnesh Nivalkar  
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Instagram ID : @vighneshworld
Joined 19 June 2020


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YESTERDAY AT 0:58

तोडून गुलामीची रीत ठेविले राष्ट्र अबाधित
सळसळत्या रक्ताला असे तलवारीची प्रीत
क्रांतीचा झरा वाहे अशी त्याची धरणी
शौर्याच्या गाथेची अटकेपार वर्णी
वेळोवेळी राखली शान जरा इतिहासात बघा
हिमालयाच्या पाठीशी सहयाद्रीच उभा
नमन त्या वीरांना ज्यांनी दिले हे मर्म
अखंड राहूदे हा महान महाराष्ट्र धर्म.....

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19 APR AT 23:04

असावा थोडा एकांत
थोडी मनास मिळते शांती
लयास जातात कुविचार
मग घडते सुविचारांची क्रांती
घ्यावी थोडी विश्रांती
मग मनास मिळतो ताबा
हळूहळू उदयास येतो
मग वास्तविकतेचा गाभा
सुंदर मनाचा व्यायाम हा
जपला तुम्ही पाहिजे
खंबीर अशा मनाला
एकांतच पाहिजे......

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26 FEB AT 23:32

गाते शौर्याची गाथा
कधी अभंगाचे बोल
काळजाला भिडते
असे मर्म तिचे खोल
कधी अंगाईचे गीत
कधी बेभान असे प्रीत
परक्यास ही आपले करी
असे हीच तिची रीत
कधी मधासम गोड
कधी रांगडी तिची बोली
गनिमासही धाक
अशी माझी मायबोली
अस्मितेचे अस्तित्व तू
काय लिहावे तुजसाठी
लाभले आम्हास भाग्य
बोलतो मराठी........

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18 FEB AT 20:21

घने बादल जुल्म के
पर बिजली जैसे अंगार तुम
छिप गया था भगवा रंग
पर उसके बने श्रृंगार तुम
छल कपट से चलता शासन
देवभूमि पे घूमे दुशासन
झुक रही थी गर्दन सारी
रो रही थी रयत नर नारी
जंग लगा था समशेरोंपर
पर समशेर तेरी रुकी नही
पैरोतले सल्तनतें तुम्हारे
गर्दन तेरी झुकी नही
बोकर बीज क्रांति का
निर्माण किया स्वराज तुम
हिंदुओं के रक्षक हो तुम
युगपुरुष हो 'शिवराज' तुम.....

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31 DEC 2023 AT 15:06

सितम वो करते रहे सेहते रहे हम
खुदगर्ज बना अब इश्क़
फिर भी खुशनसीब है हम
बहका दिया ऊनके इरादों ने
गुमराह हो गए हम
मंजिल बन गई बंजर
फिर भी खुशनसीब है हम
जमाना खिलाफ हो गया
फिर भी उनकी चाहत ना भूले हम
कदर उन्होंने की नही
फिर भी खुशनसीब है हम
जालिम वो बने रहे
उनको फरिश्ता समझते रहे हम
एकतर्फा हम चलते रहे
फिर भी खुशनसीब है हम
किस्मत ने कुछ और लिखा था
फिर भी मुस्कुराते रहे हम
क्योंकि शिद्दत से किसीको चाहते थे
इसलिए खुशनसीब है हम.....

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4 NOV 2023 AT 17:46

विसर पडतो माणसाला
तो दोष देतो मग वेळेला
नसत कोणी कायम इथे
क्षणिक नियम हा
आयुष्याचा शाळेला
समज देऊन जातो कोणी
समजून घेऊन राहत कोणी
कोणासाठी आपलेपणा
तर कोणा वाटे परकेपणा
जाणाऱ्यांना जाऊ दे
आणि येणाऱ्यांना सामावून घे
थांबवु नकोस तू प्रवास तुझा
चालत राहा तू नेहमी पुढे
सूत्र हे साधे सरळ
थोडे तरी समजून घे
आयुष्याचे गणित सोपे
अर्थ त्याचा उमजून घे.....

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25 JUN 2023 AT 23:26

किसका इंतजार करे तू
न आएगा तेरे कोई वास्ते
तडप सिर्फ तुझे है
बाकी सबने चुने अपने रास्ते
सब चल बसे अपने मोड़ पे
तू रुका वही ओर पे
सब निकल गए आगे
जैसे प्रीत पिया से भागे
क्यों चाहिए खामोशी
क्यो बना फिरे तू
तन्हाही का बनिया
कदम बढ़ा आगे
और देख बाहर की दुनिया.....

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28 MAY 2023 AT 0:40

हर गुजारी रात में
हमारे मोहोब्बतो का साज है
पूछा करो उन रातों से
की कितने अनकहे अल्फ़ाज़ है
पूछा करो चाँद से
की कहाँ तेरा नूर है
बिछड़े हुए चाँदनी पे
भला क्यों इतना तू फितूर है
हर पूछे सवालों का
बस खामोशी में जवाब है
सुन न पाए वो
तो वही फिरसे अधूरा ख्वाब है.....

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8 APR 2023 AT 20:37

आगाज हमने कागजों से किया
उसमे कलम ने हमारा साथ दिया
खोए खोए बैठे तन्हाई में
तो उनकी यादों ने हमे याद किया
चंचल तिलमिल उन यादों को
हमने अल्फाजों में बांध लिया
बनता रहा फिर ये कारवाँ
तो हमने मोहब्बत का उसे नाम दिया
यूँही नही बने शायर हम
उसकी निगाहों ने जो इरशाद किया....

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11 MAR 2023 AT 1:55

बेखुदी के काफ़िलों में
वो हसीन मुझे मिली थी
खामोशी के डालियों में
वो किसी गुलाब की तरह खिली थी
राह भटके दिल के लिए
वो किसी कश्ती की तरह थी
दिल को छू जाने वाले कहनियों के
किसी किस्से की तरह थी
यूही नही दिल आया उनपे
जो हमने मोहोब्बत उनसे करि थी
कुछ तो बात थी उनमे
जो शायद खुदा की ही जादूगरी थी....

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