जरा होश हुआ करता है,
जरा से तुम हुआ करते हो...
फिर मेरे ख्यालों के नक्शों में सब कुछ धुंधला सा लगने लगता है।
हाँ मैं चश्में लगाकर भी झाँकता हूँ
फिर भी कुछ है जो दिखता कम हैं, महसूस ज्यादा होता है।
एक अलसाया सा दर्द, हल्की सी टीस
और गुनगुना सा सुकून
जो बिखरा रहता है आसपास।
फिर बड़ा दिलकश होता है
धीरे धीरे इस मदहोशी में डूब जाना की.....
"कभी मेरे लिए वह हो पाओगी क्या
जो तेरे लिए मैं हो जाता हूँ...!!"🙂✍🏼-
मेरी हर शाम उदास है...
ना दिन है मेरा,
ना कोई रात है।
मेरे हिस्से में आयी थी जो शाम,
वो शाम भी अब उदास है।
ना है कोई अपना,
ना ही किसी से कोई बात है।
ना पंछीं है कोई,
ना ही कोई चहचहाहट है।
सच कहूं तो
मेरी हर शाम उदास है...!!😌✍🏼-
जब कभी मिले थे तुमसे मुस्कुरा कर हम...
मानो कैसे सागर में समाकर शान्त हो जाती है अल्हड़ सी नदियां या कैसे चाँद के संग उसकी चाँदनी समा जाया करती है।
पर मिलनें के बाद भी रह जाया करती है ना कुछ ख्वाहिशें अधूरी सी.....
यह जो तेरी अधूरी सी ख्वाहिशें हैं,
उसे कभी अपना घर मिलेगा क्या...!!🙂✍🏻
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सुनो...
कुछ कहना था मुझे
ये हर दफ़ा... मतलब की बंदिशें
ख़त्म भी कर दो,
कुछ बातें...
मेरा मन बस बेवजह ही
करना चाहता है...!!🙂✍🏻
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कैद करता जाता हूँ ख्वाहिशों को दिल में अपने,
फिर इन्हें खुदकुशी सिखाता हूँ...!!🙂✍🏻
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मौन में छिपी होती है समंदर सी गहराइयाँ,
हर बार कह नहीं सकती अपनी कहानियाँ,
मौन की वजह समझो...!!🙂✍🏻
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कुछ अधूरे से ख़्वाब यूँ ही रह गए,
वक्त बदलने पर जो खुद बदल गए।
जैसे अनगिनत तारों-सितारों की चमक,
झिलमिल जैसे अब हो गए।
कुछ अधूरे से ख़्वाब यूँ ही रह गए,
मेरी आँखों के सपने, सपने ही रह गए।
दिल के कोने में बैठे वो ख़्वाब,
बस केवल ख़्वाब ही बनकर रह गए।
कुछ अधूरे से ख़्वाब
बस यूँ ही रह गए...!!🙂✍🏻
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कभी शिद्दत से गर्मी, कभी बारिश की फुहारें,
ये सितंबर, ये मोहब्बत, समझ से बिल्कुल बाहर है हमारे...!!😌✍🏻
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यह बरखा, यह घन
यह शीतल सी पवन
ऐ मौसम-
तेरे मिज़ाज़ कुछ नेक नहीं हैं...!!🙂✍🏻
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आँखों में आस लिए आसमान को निहारते रहे,
आखिर किसे विद्या..??
ख़्वाब, ख़्वाहिशें या ख़्यालात...!!🙂✍🏻
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