मुसलसल वफ़ा करते रहे हम उनसे,
बस बेवफ़ा का एक ताज हासिल करने के लिए।-
Animal and nature lover🐕🏞
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Speak your heart through words
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दर -ओ -दीवार से गुफ्तगू न किया कीजिए,
कि वो दहलीजों से राज़ बायां कर देगी।-
ज़रा बंद करके रखा करो अपने किवाड़ तुम,
ये चाँद इस हुजरे से तुम्हें कहीं चुरा न ले जाए।-
हाशिए पर खुशियों के रखा था दिल अपना,
तुम आए और सबकी तरह तोड़कर चले गए।-
तुम चांद बनकर निकलो तो सही,
हम चकोर बनकर जान ना लुटा दें तो कहना फिर।-
शाखों से टूटे पत्तों की तरह बिखरे भी तो क्या,
न जरूरत थी किसी को, न किसी को परवाह।-
उम्मीदों के सफ़र में,
ख्वाहिशों के नगर में,
काग़ज़ की कश्ती है,
मिट रही जिसकी हस्ती है।
कभी ज़ाहिर किया,
कभी भुला दिया,
अपना कहकर हमें जज्बातों ने कई बार रूला दिया।
दिल का वो आशियाना जो कभी गुलों से शादाब हुआ,
कि दिल का वो आशियाना जो कभी गुलों से शादाब हुआ,
जाने किसकी लगी नज़र,
वो चमन भी बर्बाद हुआ।
अब तो आरजू को भी किसी कोने में दफ़न किए बैठे हैं,
और सांसों की रूखसती के लिए कफ़न लिए बैठे हैं।
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हाथों में समंदर ठहरा है कभी!
जो ज़हमत उठा रहे हो।
वफ़ा का ईनाम मिलना ही नहीं,
तुम बेवजह आंसू बहा रहे हो।-
तुम लौट आओ मेरे मानने से,
या छीन लो मुझे इस बेजार ज़माने से।
बड़ी बेचैन हैं ये सांसे मेरी सनम,
महरूम कर रखा है जिसने हंसने हंसाने से।-