Vidushi Mishra   (©Vidushi Mishra)
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Joined 7 January 2018


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2 JUN 2024 AT 0:02

मुसलसल वफ़ा करते रहे हम उनसे,
बस बेवफ़ा का एक ताज हासिल करने के लिए।

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4 MAY 2024 AT 1:40

दर -ओ -दीवार से गुफ्तगू न किया कीजिए,
कि वो दहलीजों से राज़ बायां कर देगी।

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4 MAY 2024 AT 1:21

ज़रा बंद करके रखा करो अपने किवाड़ तुम,
ये चाँद इस हुजरे से तुम्हें कहीं चुरा न ले जाए।

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16 MAR 2024 AT 17:37

हाशिए पर खुशियों के रखा था दिल अपना,
तुम आए और सबकी तरह तोड़कर चले गए।

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16 MAR 2024 AT 0:16

तुम चांद बनकर निकलो तो सही,
हम चकोर बनकर जान ना लुटा दें तो कहना फिर।

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11 JAN 2024 AT 15:14

किस्मत से मिलते हैं प्यार करने वाले,
वरना तो बाकी ज़िंदगी है।

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12 OCT 2023 AT 23:39

शाखों से टूटे पत्तों की तरह बिखरे भी तो क्या,
न जरूरत थी किसी को, न किसी को परवाह।

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10 SEP 2023 AT 23:27

उम्मीदों के सफ़र में,
ख्वाहिशों के नगर में,
काग़ज़ की कश्ती है,
मिट रही जिसकी हस्ती है।

कभी ज़ाहिर किया,
कभी भुला दिया,
अपना कहकर हमें जज्बातों ने कई बार रूला दिया।

दिल का वो आशियाना जो कभी गुलों से शादाब हुआ,
कि दिल का वो आशियाना जो कभी गुलों से शादाब हुआ,
जाने किसकी लगी नज़र,
वो चमन भी बर्बाद हुआ।

अब तो आरजू को भी किसी कोने में दफ़न किए बैठे हैं,
और सांसों की रूखसती के लिए कफ़न लिए बैठे हैं।

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26 AUG 2023 AT 19:23

हाथों में समंदर ठहरा है कभी!
जो ज़हमत उठा रहे हो।
वफ़ा का ईनाम मिलना ही नहीं,
तुम बेवजह आंसू बहा रहे हो।

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26 APR 2023 AT 13:00

तुम लौट आओ मेरे मानने से,
या छीन लो मुझे इस बेजार ज़माने से।
बड़ी बेचैन हैं ये सांसे मेरी सनम,
महरूम कर रखा है जिसने हंसने हंसाने से।

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