Vidula Sharma   (Shivi)
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मुरझाए फूलों को न तोड़ो न छेड़ो तुम 🥀
लेने दो उन्हें नींद चैन भरी 🍂
Joined 30 December 2017


मुरझाए फूलों को न तोड़ो न छेड़ो तुम 🥀
लेने दो उन्हें नींद चैन भरी 🍂
Joined 30 December 2017
30 JAN 2023 AT 16:11

On the other side of the World

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21 OCT 2022 AT 22:22

Only lights can tell,
how dark you are !

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11 AUG 2022 AT 22:33

What did you loose ?
What did you gain ?
as the fairytale ends
is it wisdom ?
or Pain ?

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5 SEP 2021 AT 14:14

कैसे बादल मैं क्वार का,
सावन की घटा बनूं ;
मरूभूमि सा हृदय लिए,
कैसे उपवन की छटा बनूं !

सागर की गागर है सूखी,
अतृप्त रहा पर मन मेरा ;
कैसे इस निर्जन वन में,
अशांति ने मुझको घेरा ?

ज्वालामुखी के रागों सा,
मैं कैसे वर्षा की तान बनूं
कहो ज़रा कैसे मैं पत्थर ,
नदियों का गान बनूं ?

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8 AUG 2020 AT 22:41

कागज की नाव सी मैं
चल पड़ती हूं सड़क पर
जरा सी बौछार से इकट्ठे हुए
छिछले मटमैले पानी में ;

हवा के संग हिलोरें लेती
ख्यालों के चप्पू से
बूंदों की लहरों में
बस जूझती जाती हूं मैं ;

अनायास ही कोई गाड़ी
गुजर जाती है निकट से ,
साक्षात बादलों के
प्रस्फोटन का एहसास करा कर ;

भर आता है गले सा कागज
और मैं दफन हो जाती हूं
वहीं बीचों बीच ....

सड़क तो है ही गाड़ियों के लिए
वहां नाव का कोई काम नहीं ।

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17 MAY 2020 AT 13:30

तुम कहते हो
स्थितप्रज्ञ बनो ,
प्रभु ,कैसे मैं उस ओर बढूं ।
घायल करती
परपीड़ा भी
कैसे भवबंधन से मैं लडूं ।।

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8 JUN 2018 AT 12:21

स्पर्श नीर ने जो किया
हो उठी जीवंत वह विरहिनी-सी ,
चिर-पुलकित हो उठा मन
कल थी लता वह, मृत शुष्क सी ।

कष्ट जो ताप ने दिया
रही प्रतीक्षित प्राणहीन-सी,
ज्यों जलद सन्देश लाया
रक्तरंजित हो उठी, लता रक्तहीन-सी।

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31 DEC 2021 AT 23:52

तितलियों सा बनने की चाह नहीं मेरी
मैं ठीक हूं फूल ही
जंगली जहर भरा !

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31 DEC 2021 AT 23:41

I wanted to write pain
to get over it.
couldn't write ;
couldn't get over !

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29 DEC 2021 AT 15:50

I collected stones
from every turn of my life.
Not really sure,
whether these are souvenirs
from the towns I passed by,
or it's a way to atone
for the roads that were not
meant to be taken;
It has been so long
that now It feels heavy
and can't be dragged anymore.
A cart full of stones.
Though It's hard to abandon
those who walk alongside
that too for long,
But I think I shall leave,
leaving them all
Blue, Pink,
Big and small ...

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