चीनी को कर दरकिनार हम
उनके होंठों की मिठास
चख लेते है।-
Vidhya Koli
(Vidhya Koli)
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मैंने नहीं लिखे है प्रेम गीत
मैंने लिखी है गज़लें
जो कायम रहती है
सालों साल
अपने मूल स्वरूप मे... read more
मैंने लिखी है गज़लें
जो कायम रहती है
सालों साल
अपने मूल स्वरूप मे... read more
Joined 1 July 2020
26 APR AT 22:49
नामों का कब्रिस्तान
दफन है
सीने में हमारे
कभी कोई तो
कभी कोई नाम
गढ़े मुर्दों-सा
उखड़कर निकलता है।-
15 APR AT 18:40
ट्रेन में सफर करते समय
जैसे-जैसे चीजें पीछे छूटती जाती हैं
वे सब धुंधला जाती है...
फिर वह आंखों से ओझल होती जाती है
पर ट्रेन अपने सफर पर सरपट दौड़ती रहती है
पीछे देखे बिना...-
14 APR AT 23:30
फूलों को संभालना
न तो माली के बस की बात थी
न किसी प्रेमी या प्रेमिका के
यहां तक कि...
भगवान भी उन्हें नहीं संभाल पाया
फूलों को सहेजना और
अपने में समेटे रखने का हूनर
बस...
किताबों में था
जो फूलों को अपने ह्रदय से
लगाकर रखती है।
-
10 APR AT 13:41
क्या ही जलायेगी ये दुनिया
हमें चार कांधों पर ले जाकर,
हम बिखरे इतना है कि समेटना मुश्किल है।-
7 APR AT 23:26
उठी जो कसक सीने में
हर रात तन्हा हो गई
नींद न बची आँखों में
न जाने कब सुबह हो गई...!!-