Vidhya Gaonkar   (Vidhya✒)
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Joined 4 May 2020


Joined 4 May 2020
16 JUN 2020 AT 14:46

कुछ चंद लोगों की वजह से एक डर का माहौल है,
किस पर भरोसा करें और किस पर नहीं बस यही सवाल है|

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10 JUN 2020 AT 12:30

गुस्सा हुई थी तुम मुझसे,
मैं भी तुमको गलत समझ बैठी थी |
तुमसे कभी बात नहीं करूंगी यही सोच दिन बीता रही थी,
उस एक छोटीसी बात ने जैसे हमारी दोस्ती की गुऩजाईश ही मिटा दी थी |

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29 MAY 2020 AT 12:34

जरूरी तो नहीं की मेरे सारे गम मैं तुमसे बांटू
कुछ तो मेरे रहने दो |
सारी खुशिया तो तुमही से थी
बस ग़मों के इन चंद पलों को मेरा रहने दो |
केहने को तो हम अब भी दोस्त है
पर सच्चाई को मुझे अपना लेने दो |
हां मेरे ग़म सिर्फ मेरे है
कुछ पल के लिए मुझे इन्हें महसूस कर लेने दो...
बस थोडी देर मुझे खुदसे रूबरू होने दो |

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27 MAY 2020 AT 12:50

उनसे क्या शिकायत करें, खुदसे ही नाराज़ है हम
दिल से जिसे अपना माना, वही दे गए गम
बेवकूफ थे जो उनकी मीठी बातों में आ गए हम...

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19 MAY 2020 AT 19:20

फक्त सुखाच्या क्षणी साथ देतात
दु:ख गाठी आल्या सोडून जातात

ज्याला आपलं मानलं तेच
काळजाला भेदुन जातात

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19 MAY 2020 AT 18:58

KUCH ALAG HO TUM

Socha tha tum waise nahi ho,  kuch alag ho par mere liye sahi ho...


Read full poem in caption.... 👇

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7 MAY 2020 AT 1:22

It hurts when somebody gives u hope and takes back within 1 hr.....huh😔

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4 MAY 2020 AT 14:13





खयाल आता है तुम्हारा तो चेहरा खिल सा उठता है,
दिल थोड़ा सहम सा जाता है और दिमाग गहरी सोच में डूब जाता है |
दिल और दिमाग में एक जोरदार हलचल सी मच जाती है, जैसे बिना हथियार के एक युद्ध सा छिड जाता है |
दिमाग सही है यह मै भी जानती हू, लेकिन अंत में दिल ही जीत जाता है |

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