vidhu shekhar shrimali  
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Joined 12 June 2019


Joined 12 June 2019
26 JUL 2019 AT 22:46

ऐसे क्यों ख़फ़ा हो गये थे साहिब !

जो बिना गीले - शिकवे के ही हमें ठुकरा दिया ।



~श्रीमाली

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20 JUL 2019 AT 0:05

तेरी ना मौजूदगी में ही तेरे होने का एहसास छिपा है
जो तू नहीं अगर ज़िन्दगी में , तो वक़्त भी ख़फ़ा है ।
अब लौट भी आ ज़िन्दगी में फिर से
सवार दे आशिक़ी को मुहब्बत के रंग से ।

~श्रीमाली

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18 JUN 2019 AT 9:54

क्यों न हो इश्क़ मुक़म्मल तेरा ,
जो तू राहगीर है मुहब्बत का।
कायनात भी कह देगी तुझसे ,
जा कर ले इश्क़ मुक़म्मल तेरा ।

~श्रीमाली

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16 JUN 2019 AT 14:02

वक़्त का इंतज़ार करते करते ,

रह गया मैं तुमसे ये कहते कहते ।

कि अब ज़रा ख़्वाबो में भी न आना तुम ,

थक से गए हम ! अब गम सहते सहते ।

~श्रीमाली

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15 JUN 2019 AT 10:59

इश्क़ का जनाजा निकला है कैसा देखो !
रूह तक कांप उठे तमाशा ये देखो ।
कहता है ये शख्स ! ज़रूरत नहीं अब तेरे रहम की ,
बड़ी कीमत चुकाई है मुहब्बत के करम की ।

~श्रीमाली
©

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15 JUN 2019 AT 3:06

हमारी इंसानियत को वो अपनी तवज़्ज़ो समझ बैठे ।

पुराने दर्द से हमें मुखातिब कर बैठे ।


~विधुशेखर

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12 JUN 2019 AT 18:21

कह गए तुलसी सूर सब ,बिन गुरु घोर अंधार ।

हरी गावे महिमा थारी ,शेखर पूजे बारम्बार ।


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