एक दिन इन दीवारो से निकलकर
मुझे वो खुला आसमान देखना है
एक दिन खुश होकर
मुझे मुस्कुरा कर देखना है
एक दिन सिर्फ ज़िम्मेदारी निभा कर नही
मुझे हक भी जता कर देखना है
एक दिन कहानियां सुन कर नही
मुझे किस्से बना कर देखना है
एक दिन खामोश रहकर नही
मुझे गुनगुना कर देखना है
एक दिन आखों में आंसू नही
मुझे चैन की नींद देखनी है
इस शोर भरे सन्नाटे से निकल कर
मुखे शांति देखनी है
हाँ आज मुमकिन न सही मगर कल
मुझे आज़ादी देखनी है-
Trying to pen down each word of silence.....
INSTA PAGE- dripping_d... read more
उसके आँसू बयाँ कर पाए
इतना शब्दों में कहाँ दम था
वह बयाँ कर भी देती ज़ुबाँ से अपने
मगर उसके पूछने में वज़न आज भी कम था
यूँ तो नज़र आती नही कहानियाँ उसकी आँखोँ में
चख कर देखा तो पता चला इश्क़ का ज़ायका कम
था
मैंने देखा था उसे मुस्कुरा कर बात करते हुए
छू कर देखा तो पता चला पहले की तरह उसका हाथ
आज भी नम था
मैंने जैसी हालत देखी उसकी तन्हा होते ही
उसे लाश भी कहता तो वह भी कम था
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Poets never put down
their thoughts and
opinions but their
feelings and emotions-
एक उम्र का सैलाब है उसकी आँखों में
पोछने का जज़्बा रखना तो ही हाल पूछना-
Nowadays people are in love with the relation not with the person
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Nowadays people are loosing a whole universe for the world they don't belong when all they needed was a little space...
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मगर कहानी बेशुमार है
हाँ लिखी नही मैंने
क्योंकि अभी तक
स्याही का इंतज़ार है-