ये बेमौसम बरसात यूं ही नहीं हो रही है जनाब,
बहुत से मन थक चुके हैं ग़मों का बोझ ढोते ढोते...-
कर्म करो तो नंदी की तरह,
के फ़ल स्वरूप साक्षात शिव मिलें...-
छुपा के आंसुओं को,
लिए होठों पे झूठी मुस्कान,
निकलती है एक मां काम पर,
छोड़ अपनी नन्ही सी जान... ❤️-
बयां हो गई अगर हकीकत तो चेहरे बेनकाब हो जायेंगे,
वे जो खंजर लिए हमसे गले मिलते रहे, अपना मुंह कैसे दिखाएंगे...😈-
मानिए बातें उनकी जो दुख में साथ निभाते हैं,
बाकियों का क्या ज्ञान देने तो वैसे भी सब आते हैं...-
जो बयां कर जाऊं दिल की बात तो रिश्ते ज़ार ज़ार हो जायेंगे,
जो चुप रहूं अगर, बस सी के लबों को, तो दम घुटता सा है...
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ख़फ़ा रहिये मेरे लहजे से मंज़ूर है मुझे
के हाल से मेरे वाकिफ़ भी कहां थे आप...-
गुज़र ही जाता है हर अच्छा दिन या बुरा दिन,
याद रह जाते हैं तो लोग जो साथ छोड़ जाते हैं या निभा जाते हैं...-
खुद को मज़बूत बनाना बहुत जरूरी हो गया है अब,
लोग कमज़ोर दिल के लोगों को रुलाते बहुत हैं...
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बदल गई ना मै अब पहले सा बवाल नहीं करती...
कुछ भी हो अब चाहे मै तुमसे सवाल नहीं करती...-