ये मेरी हँसती तस्वीर एक रोज मर जायेगी, मुझे नींद आयेगी इतनी गहरी की मेरी साँसे रुक जायेगी थोड़ी परवाह करू उनकी जो मुझे चाहते है, अब उनके सिवा और जीने की क्या वजह रह जायेगी।।
मैं ना जाने किस रोज किस के हिस्से में बट जाऊ, मैं इतना बुरा हो गया कि एक किस्सा बन जाऊं। मुझे नफरतों में पनाह मिली है, बस अब यह कि दुआ है कि एक रोज इन्ही में भस्म हो जाऊं।।
चन्द अल्फाज़ो में तुम्हे बयां नही कर सकता, हर महफ़िल में तुम्हारा जिक्र नही कर सकता। इल्जामों से फिर से घिर जाऊँगा, बस इसीलिए हर कविता तुम्हारे नाम नही कर सकता।।
जो करना है कीजिये बदनामियों में भी मेरा नाम कीजिये। अगर मिलता है सकूं मुझे गलत ठहराकर, तो मेरी जान मुझे कबूल है सारे जुर्म आप बेहिसाब मेरे नाम कीजिये।।