Vicky Anand (Captain)  
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Joined 27 March 2019


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Joined 27 March 2019
5 JUL AT 16:20

यहाँ से रास्तों ने चुन लिया है घर मेरा
यहाँ के बाद मुझे चलना नहीं पड़ता

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27 JUN AT 1:42

प्रेम से इतर,
इस दुनिया की कल्पना में,
बस एक ही संभावना बचती है,
सिर्फ़ कल्पना।

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15 MAY AT 18:04

जिसने भी इंकार किया है जिसको भी
कुछ पल को सोचा तो उसको भी

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8 APR AT 18:22

प्रेम में पड़ी लड़की,
अपनी दहलीज़ में रहकर,
तोड़ देती है प्रेम की मर्यादा,
प्रेमी का अभिमान और
उसका आत्मसम्मान।

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3 APR AT 19:30

सभी के साथ शामिल तुम भी हो
मेरे जज़्बा के क़ातिल तुम भी हो

यहाँ आँखों आँखों ही में ढलती जाती है रात अब
इस बदगुमाँ मंज़र के नाज़िर तुम भी हो

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28 MAR AT 21:31

हूबहू तुमसा तुम्हारे पीछे आ रहे हैं
ये मेरे ऑंसू भी मुझे छोड़ कर जा रहे हैं

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22 MAR AT 18:47

तुम्हारे बाद जिस पर जाँ-निसार
धरा सुंदर सरल अपना बिहार

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16 MAR AT 23:44

पता नहीं अब कैसी हो तुम!
मैंने सुना है अच्छी हो तुम,
याद में मेरी तो अच्छी हो,
क्या सचमुच में अच्छी हो तुम?

अब भी क्या झगड़ा करती हो?
छिपकलियों से डरती हो,
अब भी क्या दिनभर पढ़ती हो?
क्या अब भी ऋतिक पर मरती हो?

वैसी ही सच्ची सी हो तुम,
सुन्दर सी अच्छी सी हो तुम,
या अब इस दुनिया की खातिर,
भाई, पिता और माँ की खातिर,
अपने ख़्वाब का सौदा की हो!
छोड़ के तुम मेहनत की नगरी,
अनजाने बंधन में बंधी हो?

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10 MAR AT 23:42

तुम्हारी आँखें!
कितनी साधारण हैं तुम्हारी आँखें!
और चूंकि साधारण चीजें मिलकर ही दुनिया बनाती हैं,
तुम्हारी साधारण सी आँखें मुझे आश्वस्त करती हैं,
हमारी दुनिया भी बनेगी और ज़रूर बनेगी।

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12 DEC 2024 AT 21:00


अभी कुछ और भी वादे निभाने वाले हैं
आए नहीं हैं जो अबतक वे आने वाले हैं

इस धरा पर मूल्य है गर ज़िंदगी फ़िर
हम इस धरा से भी तो जाने वाले हैं

देखता हूँ रौशनी जो चारो ओर
ख़ौफ़ खाता हूँ दस्तक अंधेरे देने वाले हैं

तुम आ रहे हो इस तरफ़ तो आओ भी
कल तलक तो हम भी जाने वाले हैं

कुछ और भी हैं रास्ते दरिया के आगे
बस तय अगर हो जाए अब हम पार पाने वाले हैं

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