✍️विचारों की अभिव्यक्ति✍️   (Suk Jaiswal)
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Joined 31 March 2021


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Joined 31 March 2021


एक *घनाक्षरी*

राम राम कहते हो जीवन में रोज-रोज,
पशु हत्या कर सदा पाप ही कमाते हो।
नशा मदिरा का कर हालत खराब किया,
रिश्तों में दरार लिए बड़ा इतराते हो।।
धरम के काज कभी मन में भी आते नहीं,
गालियों की मुख से बौछार किये जाते हो।
जाति; रंग; रूप देख भेदभाव करते हो,
गरीबों को देख कर अमीरी दिखाते हो।।

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न्यौछावर प्राणों को करते
जाने कितने ही वीर सदा
देखो सबने पकड़े आयुध
जैसे पकड़े हैं भीम गदा।

तन-मन अर्पित है भारत को
यह राष्ट्र हमें भी प्यारा है
जो पंच-तत्व में समा गया
नभ का वह सुंदर तारा है।।

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मन तो चंचल चिड़िया है।
मानो तो इसकी मुठ्ठी में,
हमारी सारी दुनिया है।।

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भाई बहन का प्यारा रिश्ता,
इनका अजीब होता है किस्सा।
दूजा करे यदि भाई से झगड़ा,
बहन को आए तुरंत ही गुस्सा।।

कभी झगड़ा,कभी प्यार
एक दूजे के खास यार ।
वक्त आने पर दोनों ही देते,
खुशियाँ एक दूजे पर वार।।



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तुम्हारे साथ होने से है
जो डर जाती हूँ कभी,
वो डर, तुम्हें खोने से है।।

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मेरे दुख में औ सुख में,
गिरिधर तुम हो पास।
जीवन की इस यात्रा में,
तुमसा नहीं कोई खास।।
तुमसा नहीं कोई खास,
फिर किससे करूँ मैं आस।
तुम पर ही तो है गोवर्धन,
मेरा अटल विश्वास।।
🙏💐💐🙏

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आपके जीवन में आए,
खुशियाँ ढ़ेर सारी।
इस दिवाली पर्व पर,
यही दुआ हमारी।।

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रंग खुशियों के लाया है
"गाँधी","शास्त्री" दोनों ने ही,
इस माह में जन्म पाया है।

🙏🙏🙏

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लिखना छोड़ो नहीं कभी
अगर मिल जाता है नया तो
सिखना छोड़ो नहीं कभी!!

रहेंगे सदैव 'दिनकर' अमर
कविता उनकी सुंदर अति
देती शिक्षा हर रचना हमें
प्रबुद्ध हो जाती है मति।।

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