ना मेरा कुछ हुआ है...न तेरा कुछ होगा
मेरी हंसी उड़ी है...तो तेरा भी मजाक होगा
यक़ीनन वो वक्त आयेगा जिंदगी में
मेरा भी हिसाब होगा...तेरा भी हिसाब होगा-
मैं स्वाभिमान की एक उदासी
"""" गम्भीर प्रेम का ये संगम है,,,... read more
ना मेरा कुछ हुआ है...न तेरा कुछ होगा
मेरी हंसी उड़ी है...तो तेरा भी मजाक होगा
यक़ीनन वो वक्त आयेगा जिंदगी में
मेरा भी हिसाब होगा...तेरा भी हिसाब होगा-
चलो मान लिया गुनहगार हूँ मैं
तुम ही साबित कर दो बेगुनाही अपनी
ये भी की माना आती नहीं मोहब्बत हमको
तुम ही दिखा दो दरियादिली अपनी
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बड़े गहरे हैं इसके पांव के छाले
कमबख्त जरूर उसूलों पे चला होगा
इसने समझा होगा अपनो की मजबूरियों को
ये जरूर अपनी ही आग में जला होगा-
गर सच का हो शौक तभी खामोशी को छेड़ो
वरना गफलत में जीना आज कल मुश्किल तो नहीं है
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गुज़िश्ता कुछ वक्त से बड़ी ग़लतफ़हमी में जीता रहा
वो दिमाग से चलते रहे और मै दिल की सुनता रहा
क्या पता था जिन्होंने रक्खा है मुझे निचले पायदान पर
मै उनके ही सिर ताज की दुआ करता रहा-
समय पर समझिए...वरना समझना बेकार है
अगर पति थोड़ा भी समझदार है और वो पत्नी को उसकी कमियां बताता है तो बजाए इसके की वो अपनी कमियां दूर करे वो धीरे धीरे उस से चिढ़ने लगती है
पर जब बात समझ आती है तब तक देर हो जाती है....
यही बात पति पर भी लागू होती है-
कोई अहसान इतना बड़ा नहीं होता जिसको स्वाभिमान बेच के चुकाया जाये
स्वाभीमान जब भी बिकता है तो उसके दो ही कारण होते हैं
लालच में उठाया गया कोई कदम
या भावुकता में बह के दिया गया कोई वचन
जिसकी भरपाई करते करते इंसान अपना सब कुछ गवां देता है और उसके बाद भी वो वक्त बेवक्त बिकता ही रहता है
कभी महफ़िल में... कभी तन्हाई में-
कमबख्त बड़ा परेशान रहता है.....
लगता है इसको अपनी ज़िम्मेदारियां याद रहती हैं
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