ऐ प्रथम निशा नववर्ष की मुझको
नव मंगल वह स्वप्न दिखाओ।।
जिसमें जीवन का सार छुपा हो
ईश्वर का आभार छुपा हो
जिसमें वह लक्ष्य दिखाई दे जो
मानस में बिन आकार छुपा हो
जिसको पाकर यह जन्म सफल हो
जीवन हो संपन्न दिखाओ
ऐ प्रथम निशा नववर्ष की मुझको
नव मंगल वह स्वप्न दिखाओ।।
आगे का विस्तार छुपा हो
एक नया श्रृंगार छुपा हो
जो मूल्यवान मुझको कर दे
वह मेरा बिंदुसार छुपा हो
जिसके आने से महक उठे
मेरा मन, उपवन दिखाओ
ऐ प्रथम निशा नववर्ष की मुझको
नव मंगल वह स्वप्न दिखाओ ।।-
just an aimless ambitious.
नए वर्ष से नई उम्मीदें
लगाए सारा जमाना होगा
ऐ पच्चीस (25) तुझे तो थोड़ा
बेहतर बनकर आना होगा।।
तू तो वह सब देगा ना
जिसको जो भी पाना होगा?
या आने का जश्न मनाकर
तेरे भी जाने पर पछताना होगा?
ऐ पच्चीस तुझे तो थोड़ा
बेहतर बनकर आना होगा।।-
राह-ए-क़मीब में जो मुश्किल थी चार दिन
ये सबके तआरुफ़ की मुकम्मल घड़ी थी...-
क्यों मैं मूक सा खड़ा हूं
बेबाक हूं फिर भी
आवाक हूं शायद
दुनिया के चेहरे देखकर...-
आपकी ये कातिल अदाएं
ये रोमांचक मनसूबे रहेंगे
तो शायद सारे काम छोड़
हम आपमें ही डूबे रहेंगे।।-
मांझा कोई उलझे "पतंगों" की डोर से
तो मान लो कि मंझा है, मांझे का चालक।।-
अजनबियों सा हाल है अपना
अपने से अनजान हैं हम
जानें मन में पीड़ा उठती है?
या पीड़ा से उठ जाता मन?-
ऑक्सीजन जैसा है इश्क़ तुम्हारा
ना दिखता है ना महसूस होता है
पर जीने के लिए जरूरी बहुत है।।-
तेरे बिन हर महफिल,उदास सी लगती है
तू दूर हो के भी ,पास सी लगती है
घुटन सी होती है, बिछड़ के तुझसे
तू मुझे मेरी ,सांस सी लगती है-
इस नए वर्ष में तुम,वो नायब हीरा हो जाओ
कृष्ण की भक्ति मिले,और तुम मीरा हो जाओ।।-