याद कर शहीदों की रवानियों को
इस देश की माटी में सो गई जवानियो को
निडर कुर्बान उन स्वतंत्रता सेनानियों को
आज फिर देशभक्ति की दिलो मे आजमाइश सी है
जवा दिलों में कुछ करने की ख्वाहिश सी है
खातिर गर वतन के जो में हो जाऊं दफन
रहना साथ ए तिरंगे बनकर तू मेरा कफन
संविधान दिवस की शुभकामनाएं— % &-
क्यु ना होगे कामयाब , तुम एक बार अरमा तो करो
तमाम चुनौतियो का डटकर सामना तो करो ।।
मिलेगी जरूर मंजिल , तुम कामना तो करो,
सफलता के शिखर पर नाम तुम्हारा होगा
एकबार साहस से कठिन राहो का सामना तो करो ।।-
Suno....fir aaj ek baat kehti hu
Na koi jhijhak mujhe bebaak kehti hu
Ishq kia hain to nibha ke rahungi
Schi h mohbbat dikha ke rahungi
Naam tumhra taqdeer main likha ke rahungi
Kya hoti h vafa ye bhi duniya ko sikha k rahungi-
मंदिर का भगवा रंग
गुरुद्वारा का सफेद रंग
मस्जिद का हरा रंग
बौद्ध का नीला रंग
जब तिरंगे ने सबको जोड़ रखा है,
फिर क्यूँ हर धर्म ने एक दुजे से मुंह मोड़ रखा है,
आपस में भेदभाव करना व्यर्थ है
यही हमारे तिरंगे का अर्थ है।।
"तिरंगे का सम्मान केवल एकता लाना है "
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मेरे वतन में हर परिस्थिति में मैं ढलना चाहूंगी,
जिंदगी मिले दोबारा तो फिर एक बार माँ भारती की गोद में पलना चाहूंगी ।।
"जय माँ भारती "
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Thodi dur hu tumse ,
fir bhi mere pass ho tum ,
Ya to tumse baat hoti h,
Ya dill se tumhari baate karti hun ,
Or jab Kuch nahi sujhta to Kuch tumhari yaad main likh liya karti hu
Kuch tumhari fariyaad m likh liya karti hu ,
Kya karu Tum chahe kitna b dur rho
Pr paas Ho mere,
Sabse Aziz sabse khas Ho mere....
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आज के धार्मिक गुरु का ज्ञान व संस्कारो पर एक नजऱ -
• ज्ञान कहता हैं जाती है अंतर्जातीय विवाह संस्कारो का अनादर है इसलिए आप जाति में रहकर दुष्कर्म व विवाहित होकर भी नाजायज़ संबंध बेझिझक रख सकते हैं ,
• समाज के रूढिवादी विचार पर आवाज उठाये तो अवश्य लताड़े जाऔगे इसलिए आप समाज में रहकर सारी प्रताड़ना स्वीकार करें , सहायता कर के ना सही पर आपकी खिल्ली उड़ाने में समाज में एकता जरुर होगी,
• समाज में रहकर आप चोरी, गुंडा गर्दी, किसी धर्म का अनादर करे इस पर कोई धर्म गुरू सीख ना दे परन्तु धर्म से ज्यादा मानवता को महत्व देना गलत हैं इस पर धर्म गुरुओ के कई प्रकाशन उपलब्ध है
'मानवता बेचकर धर्म खरीदने वाले तमाम धर्म गुरुओ को कोटी कोटी नमन "-
नफ़रत वो सरेआम सीखा गये
इश्क़ में ही क्यूँ बेड़ियां लगा गये
अपनेपन में भी धर्म की एड़िया लगा गये,
ये कौन से धर्म की ये अगुवाई है ?
जहा मानवता केवल स्वार्थ में मोहाई हैं ।।
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वो अजनबी ही मेरा नवाब हुआ ,
कैसी होगी आशिकी ? वही जवाब हुआ,
नींद में भी मुस्कुरा जांऊ ऐसा हसीन ख्वाब हुआ,
जिसे देख नज़रे झुका लेती थी कभी,
वो अजनबी ही मेरा नवाब हुआ !
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