अटल रहे सौभाग्य हमारा , मांग सदा यूं भरी रहे,
साजन की सजनी बन झूमू, जीवन में न कोई कमी रहे-
हे राम सुनो ,अब मर्यादा टूटी जाती है
कलियुग में ,नैतिकता की चिन्ता किसे सताती है
हे राम,कहां से लाए बल बाली जैसे मित्र सखा
हे राम,कहां है कौशल्या,दशरथ जैसे मात पिता
है भक्ति कहां हनुमान सरीखी,भरत सा भाई कहां
कौन कुपित हो कर गरजे,,लक्षमण सा आक्रोश कहां
है कहा जटायु पंखों को घायल कर गिरने वाला
और कहां सब्र शबरी जैसा,चख चख कर मिलने वाला
और तो और जलाते हैं जिस रावण को हर बार यहां
पर बतलाओ अब राम तुम हीं रावण जैसे शत्रु कहां।
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प्रेम में,,,
हमारी उपस्थिति की
गरिमा तो
बचा न पाए
हम दोनों
गर अब भी बचा हो
कहीं प्रेम जैसा कुछ
तो मेरी अनुपस्थिति
को सहेज लेना-
रंग सारे खिल गये,,
दिल से दिल मिल गये
हम साथ साथ यूं चले
फागुन बयार ज्यों बहे,,
कैसी महक, कैसा नशा
तेरे हाथ से टकरा गये
कितने गुलाबी ख्याब से
मेरी रुह में समां गये ,,,,-
जो गाये थे गाने साथ में वो दिन और थे,,,
अब न वो दोस्त हैं,,न रास्ते,,न ख्वाहिशें,,
अजीब खलिश है ज़ेहन में
मचलती है बेचैनियां
कहां जा कर आवाज दूं
बस साथ चलती हैं खामोशियां-
ऐसा हो नव वर्ष
चटके कलियां, महके बगिया
पूरा हो हर सर्ग
ऐसा हो नववर्ष
नये विचारों से,जन जन का
ऐसा हो उत्कर्ष
ऐसा हो नववर्ष
क्रान्ति जगे ,हर मन में ऐसी
पूरा हो संघर्ष
ऐसा हो नववर्ष,,,,,,
Venus.
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देखते हैं धूप,हवा
हम दोनों
पीते हैं एक टुकड़ा प्रेम
हम दोनो
करते हैं स्पर्श
हम दोनों
बनाते हैं बातें
हम दोनों
क्या समझते
सब कुछ अपने बारे में
हम दोनों।-
समय बस व्यतीत हो अतीत बनता जा रहा है,, बेहिसाब ख्वाहिशें,खाली कर देती है। कुछ पीड़ाएं अनवरत साथ चलती है।भोगे गये सुख दुख के अप्रत्यक्ष हस्ताक्षर हैं।
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