Venus Jain  
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Joined 19 August 2021


Joined 19 August 2021
19 FEB 2024 AT 23:03

आप सागर में बहती नादिया सी,
आप शांत सभ्य समझदार
सब कुछ अपनाते हुए,
मैं अल्हड़, बर्बर, पागल,
अपनी ही क़िस्मत से लड़ती हुई,
आप सुकून, में सुकून की तलाश में
आप जीवन के साथ बहते हुए,
मैं समय को रोकने की नाकाम कोशिश करती सी,
आप बहुमूल्य हीरे से,
मैं ठोकर खाने वाले पत्थर सी
आप ज़ख्मों पर मल्हम जैसे,
मैं खुद ही को दर्द देती सी,
जैसे सागर से नदी मिलकर भी नहीं मिलती,
जैसे हर पत्थर हीरा नहीं बन सकता,
वैसे ही मैं कभी आपके क़ाबिल नहीं हो सकती
आप इस सच को अपना चुके,
मैं आज भी किसी चमत्कार की आस करती सी।

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26 AUG 2023 AT 5:43

धर्म प्रतिष्ठित पुण्यभूमि झाबुआ मैं उत्सव है आया,
गुरु राजेंद्र गुरु हेमेन्द्र का आशीष है पाया,
आचार्य श्री ऋषभसूरि के आज्ञानुवर्ती मुनिराज,
श्री चन्द्रयश विजयजी ने सिद्धि दायक सिद्धितप का शंखनाद करवाया।

आठवें भव में मोक्ष की लालसा ने, ११५ तपस्वी समेत,
८ वर्षीय अमय ने भी सिद्धि टैप का कलश उठाया,
चातुर्मास के प्रारंभ से ही मुनिराज ने सिद्धितप का महत्व समझाया,
श्रावण वादी १२ को सभी तपस्वियों को प्रथम पच्चक्खान करवाया ।

देव गुरु की कृपा से सभी पुण्यशाली आत्माओ ने टैप का परचम लहराया,
हर बियासने में चातुर्मास समिति ने सेवा भाव से तपस्वियों का मान बढ़ाया,
दूसरी, तीसरी, चौथी लड़ी में कभी मन भी डगमगाया,
तब मुनीराज के दिव्य वचनों ने सबका मनोबल बढ़ाया।

देखते देखते अठाई और पारना उत्सव है आया,
वधामाना, सांझी,भक्त्ति, वरघोड़ा जैसे उत्सव है छाया,
तपस्या हो पायी साता से, शाशन माता ने भी आशीष वरसाया,
सभी श्रावक श्राविका की अनुमोदना जिन्होंने तन मन धन सें,
तपस्या को सफल बनाया ।

जैनम जयती शाशनम 🙏🏻

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3 SEP 2021 AT 21:50

जब जीवन में अशांति थी, सोचती कैसे ठीक होगा,
क्या पता था एक दोस्त आयेगा जो फ़रिश्ते जैसा होगा,

चंद दिनों में गुमसुम सी जिन्दगी को खुशहाल कर गया,
साथ में कुछ सीख, सबक और जिने के सलीके दे गया

अजीब दोस्ती है ये भी, कुछ भी समान नही हम में,
फिर भी जब बात करो तो घंटो निकल जाते है एक ही पल में

कभी कभी लगता है ये सब गलत है,
शायद बस बात करने की एक बुरी लत है

याद करना भी शायद गलत है, इसलिए याद नही करूंगी
पर बस पलके बिछाए, अपने दोस्त का इंतजार करूंगी।

सिर्फ दोस्ती का ही नही है ये रिश्ता,
वो सच ने बनकर आया मेरे जीवन में फरिश्ता।।

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31 AUG 2021 AT 20:32

वो पहला Message जिससे शुरू हुई बाते,
बातों से चुपके चुपके होने लगी मुलाकाते

धीरे धीरे बढ़ने लगी नजदीकियां
खिलने लगी खुशियों की कलियां

इतनी जल्दी आयेगा ये सोचा ना था
पर जानती थी एक दिन ऐसा आएगा

जब आपको लगने लगेगा अब बहुत होगया,
सीधे ही बता देना दूर जाना आसान होजाएगा

वादा है उस पल के बाद Message तो क्या,
कभी मेरे नाम का notificaiton भी नही आयेगा

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23 AUG 2021 AT 18:16

पछतावा तुमसे मिलने का नही है,
है तो उन तमाम दर्द का, जो मैं चुपचाप सहती रही।।

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21 AUG 2021 AT 14:03

आया आज अवसर है सुहाना,
है वीर गणधर लब्धि तप का पारणा

२४ जुलाई से शुरू करके प्रथम उपवास
३३ दिन की तपस्या को पूर्ण करने का था ठाना

११ बेले और बियासने से होती है ये तपस्या,
बड़ा कठिन था रसना पर काबू पाना

श्रीमद् विजय राजेंद्र सूरीजी की हुई कृपा,
और आसान होगया भूख को त्यागना

मुनि श्री रजतविजयजी की आशीर्वाद से,
५२ तपस्वियों से पाया लब्धि कलश सुहावना

शाता पूछती है वीनस सभी तपस्वियो की,
इस भाव भरी अनुमोदना को सभी स्वीकारना

आया आज अवसर है सुहाना,
है वीर गणधर लब्धि तप का पारणा।।

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20 AUG 2021 AT 19:09

गुज़र रही आज रात भी कल की तरह,
सितारे हाथ ना आए तेरे आंचल की तरह,

ज़ी करता है तेरे साथ फिर से मुस्कुराऊं
बारिश में लहलहाती फसल की तरह,

इस मतलब की दुनिया में बस एक तू ही है मेरी
कीचड़ में खिले हुए कमल की तरह,

सामने दरिया है फिर भी प्यासा हूं,
तू चली आ बादल की तरह,

अब ना जाने दूंगा तुझे दूर एक पल भी,
भर लूंगा बाहों में पागल की तरह,

रात जलती हुई चिता सी है जिस पर
तेरी यादें है संदल की तरह

साथ चलना है अब ता उम्र,
अब ना जाना गुजरते हुए एक पल की तरह।

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20 AUG 2021 AT 16:03

जहर का स्वाद शिव से पूछो,
मीरा तो अमृत ही कहेगी,

चाहे दुनिया श्याम को राधा का कहे,
मीरा तो उन्हें अपना ही कहेगी,

ना देखा चाहे कृष्ण को प्रत्यक्ष,
मीरा तो उन्हीं में रमी रहेगी,

प्यार तो दिखावे का नाम है,
मीरा तो उसे भक्ति ही कहेगी,

प्रीत लगी जो कान्हा से,
मीरा तो लज्जा से दूर ही रहेगी,

आपकी हो कितनी ही पटरानीया,
मीरा तो अपना वर ही कहेगी,

दुनिया चाहे कहे राधेकृष्ण राधेकृष्ण,
पर मीरा की कहानी अमर ही रहेगी।।

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20 AUG 2021 AT 14:35

जो हुआ वो बयां कर पाती तो अच्छा होता,
ये दिल में छुपे जज़्बात चुभते बहुत है।।

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19 AUG 2021 AT 22:58

आज मन कुछ उदास है
दिल में जगा एक एहसास है,
याद है आ रहे जिगर के टुकड़े
जो जीवन में सबसे खास है,
मन चाहता है फिर वैसे ही गुफ्तगू करना
Weekend की महफिलों की आस है,
काश किसी तरह समय को मोड़ पाती
खोई हुई खुशियों की तलाश है,
भीतर से चाहे कितनी ही तन्हा हु,
बाहर खुशियों का ओढ़ा लिबास है,
आजाओं यारो एक बार फिर बैठे साथ,
गुज़रे हुए पल जीने की प्यास है,
आज मन कुछ उदास है
दिल में जगा बस यही एहसास है।

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