Veerendra Bagri   (वीरेंद्र कुमार बागरी'VK')
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Joined 12 August 2018


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19 FEB AT 22:03

मैं थक गया हूँ,
ख़ुद को भरोसा दिलाते-दिलाते।

कि जो कभी तुम्हारा था,
वो अब तुम्हारा नहीं है।
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5 FEB AT 18:31

जब लोग मुझे,
कहते थे
तेरी औकात नहीं है।

मुझे लगता था
औकात कोई
बड़ी चीज़ होगी,
जो मेरे पास नहीं है।
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2 FEB AT 17:31

मैं इसलिए मिलाता नहीं नंबर उसका
कि नफरत है उससे,
मैं बस ये चाहता हूं कि

' उसे मेरी याद ना आए'

और आसान हो पाए उसका
किसी और शख़्स के साथ
ज़िंदगी गुजारना।
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20 OCT 2024 AT 9:49

आकाश से तारे लाने की तो बात छोड़ो,

शायद ही मैं दिला पाऊं तुम्हें

फुटपाथों पर लगी दुकानों से तुम्हारी

पसंदीदा बिंदी।

शायद ही खिला पाऊं,

ठेले के गोलगप्पे।

और शायद ही पिला पाऊं,

मटके में बनी लस्सी।


मगर प्रिय,

मैं तुमको दूँगा कंचन प्रेम,

और सम्पूर्ण समपर्ण।

रत्ती भर तुमको अहसास नहीं होगा,

जिंदगी के अँधेरेपन का।

अगर तुम प्रेम के अलावा

और भी इच्छाएं रखती हो।

तो मुझे माफ़ करना,

मैं नहीं कर पाऊँगा प्रेम तुमको।

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8 OCT 2023 AT 0:05

रातभर जागने से
कोई चाँद तुम्हारा
नहीं हो जायेगा।

अगर चाहते हो
तुम्हरा सितारा चमके,
तो सूरज बनकर
तपना सीखो।

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7 OCT 2023 AT 23:53

शायद मैं भूल गया हूँ मुस्कुराना।
वक़्त मिले तो मेरे पास आना।

ज़ाहिर है मैं पसंद नहीं तुमको,
जरूरी है क्या अहसास कराना।

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5 OCT 2023 AT 19:39

बहुत हो गया अब काम चाहिए।
हमको भी इक बड़ा नाम चाहिए।

रूह बनकर रहो हरदम साथ मेरे
चाय थोड़े जो सुबहो-शाम चाहिए।

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19 JUN 2022 AT 18:22

जो छोड़ दिया उसने तो शायरी करने लगे।
किसी लायक नहीं थे मगर तैयारी करने लगे।

कभी इस मुशायरे में गए तो कभी उसमें,
समझ लिया हमनें कि नौकरी करने लगे।

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15 JUN 2022 AT 7:46

हर रोज तुम्हारी एक नयी शिकायत है।
मुझे परेशां करने की ये कैसी आदत है।

बाए कहने के बाद भी डब्बल टिक जाना,
सब समझता हूँ ये फसाना है या चाहत है।

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10 JUN 2022 AT 6:52

ले लिया अपने दिल का,
हिस्सा हमनें।

फिर धीरे-धीरे ख़त्म किया,
किस्सा हमनें।
💔💔💔

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