मां सरस्वती
ज्ञान और उत्थान का
आशीर्वाद हमको चाहिए।
मां सरस्वती के चरणों में
स्थान थोड़ा चाहिए।१।
वेदों का ज्ञान ,
शास्त्रों का मयान,
संगीत के सुरों का गान,
इस मन को ,
एक नई उड़ान चाहिए,
मां सरस्वती के चरणों में
स्थान थोड़ा चाहिए।२।-
क्या समझाऊं उन्हें,
जो अपनी नासमझी को समझ ,
और औरों को नासमझ समझते है..-
रंग लाल ओढ़े मलीन शाल,
दर्द देता बड़ा बेमिसाल,
मगर इस दर्द में एक मिठास है,
स्त्रीत्व का आभास है।
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तुम आना मुझसे मिलने ,मै तुम्हे पहचानने से इंकार करुगी,
नहीं मिली मैं तुमसे कह कर भरी महफ़िल में बदनाम करुगी।।-
क्या खूब रिश्ता है कागज़ और कलम का,
एक कोरा होने के लिए मशहूर है,
और दूसरा उस पर दाग लगाने को।।-
सब कुछ प्रत्यक्ष है,
फिर भी मत-भेद है,
नासमझों की भीड़ में,
सत्य की शिकस्त है,
जल रहा तो जलने दो,
मौन तुम धारण करो,
इंसान ख़ुद को कहने वालों,
ख़ुद पर थोड़ी शर्म कारों,
ख़ुद पर थोड़ी शर्म कारों।।
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ईमान वो नही जो पैसों में बिक जाता हो,
इंसान वो नहीं जो जुबां से मुकर जाता हो।-
कोई अंजान।
बड़ी रफ़्तार पकड़े हुए है ज़िंदगी,
जाने कब अंजान करीबी बनते जा रहे,
और करीबी अंजान...
आवाज़ धीमी है,
सुनने वाला खुद को करीबी बताता है,
मगर मर्ज कोई अंजान ही पहचानता है...
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