Vedant Singh   (Kuswaha jii)
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Joined 17 February 2020


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Joined 17 February 2020
15 APR AT 13:36

मेरा सुकू मेरा प्यार और मेरे जीने का एहसास हो तुम।
मेरी जीवन की ढलती शाम का वो चमकता सा आसमान हो तुम।
क्या कहे जिंदगी तुम्हे या मेरी जिंदगी का ही दूसरा नाम हो तुम

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26 MAR AT 15:09

भारतीय त्यौहारों में मान्यता प्राप्त त्यौहारों में अपनी एक अलग छाप छोड़ जाने वाले त्यौहार,सब को एक दूसरे के रंग में रगने का अवसर देने वाला त्यौहार होली जो प्रायः रंग गुलाल अबीर टेसू के फूलों से बनने वाले रंग आदि प्रकार के रंगों से खेले जाने वाले त्यौहार होली की हमारे समस्त हिन्दू भाई बहिनों बुजुर्गो माता पिता संगी मित्रों और मुझ से छोटे सब को होली की मेरे और मेरे परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं.....🌊🌊🌊🌊🌊🌊🌊

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25 MAR AT 7:11

इस होली हम तुम्हे भी रंग लगाए होते।
बस उस दिन तुम किसी और के ना हुए होते।
थे तुम एक इकलौते हकदार हमारे।
काश तुम भी हमारे हक को संभाल पाए होते।
काश तुम उस दिन किसी और के ना हुए होते।
अब जीना आने लगा तुम्हारे बिना।
काश तुम हमेशा के लिए हमारी ज़िंदगी ही हुए होते।
हम क्यों भुगतते जिंदगी को मुसीबत की तरह।
काश तुम हमेशा के लिए हमारी ज़िंदगी ही हुए होते।
काश इस होली मे भी मैं, मैं नहीं हमेशा के लिए हम ही रहे होते।

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14 MAR AT 11:54

चलो आज जिंदगी से फिर एक नई शर्त लगाते हैं।
जिंदगी की शतरंज को फ़िर से सजाते है।
पहले दी थी उस ने सह मात हमे....
चलो इस बार हम तुम्हें सह मात दे के दिखाते हैं।

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7 MAR AT 22:01

मेरी यादों मैं तू तो हर बार लौट के आता है।
मैं चाहूं या ना चाहूं फिर भी तू मेरी यादों में मुझ को नजर आता है।
फिर खुद को अकेले में बैठ के समझाते है।
की जाने वाला कभी वापस लौट के नहीं आता है।

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3 MAR AT 19:33

कर ले ए लाख सितम जमाने हम पे।
मगर कभी हम से हमारे महबूब का नाम तलक ना लेना।
देना हमे लाख गम...
मगर कभी दोबारा मोहब्ब्त का नाम ना लेना ।

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25 FEB AT 20:16

जां मानते थे उन्हें हम अपनी..
शायद किसी ने बता दिया था उन्हे।
तभी तो वो हमारी जां ही लेके चले गए....

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22 FEB AT 10:25

पता नही मुझे ये क्या और क्यों बना रहा हूं।
जीने का तो अब सवाल ही ना रहा.....।
फिर भी क्यों मंजिल तक जाने का रास्ता बना रहा हूं।

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13 FEB AT 22:15

ख़ुद के लिए बनाए रखे आशियाने को मै आग लगाता चला गया।
मिली थी कुछ खुशियां खैरात में हमे...
मैं उन खुशियों को खैरात में ही लुटाता चला गया...
अब मुकम्मल होगा क्या मुझे ... नहीं पता...
मैं तो जिंदगी के हर बढ़ते कदम के साथ...जिंदगी के पीछे छूटे हर निशाना को ही मिटाता चला गया.....

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7 FEB AT 21:17

जमाने में जमाने का रोब हर पल कुछ बदल सा रहा है।
जीवन को समझते थे ये चलेगा आहिस्ते आहिस्ते।
मगर ये जीवन ही जो हर समय,समय के साथ पल पल बदल रहा है।
जमाने को दोष क्या दे हम, जब पल पल हर पल बदल रहा है....।

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