मेरी खुशियों का सिलसिला जारी ना रह सका....
सोचता था वो मेरा है ....
ये भ्रम भी मेरा...मेरा न रह सका।
गया वो वक्त दे.... वक्त के साथ।
जो ठहरा था नीर ए दरिया मेरी आंखों का ठहरा ना रह सका.....।
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तेरी यादों को सीने में दबाए चलते है....।
तुझ से होगी मुलाक़ात एक दिन...
इस उम्मीद से खुद को हर नए रास्ते पे चलाए चलते है।
अब हम किसे बताए ये, हम, हम नहीं हम तो हमारी लाश ही अपने कंधों पे उठाए चलते है....।
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क्या कहे, क्या करे ये यादों की कब्र बनाई नहीं जाती।
कोशिश तो बहुत की इन्हें दफनाने की....
पर ये हम से दफनाई नहीं जाती।
जीते है हम उसे यादों में...क्या करे ये यादें अब किसी और के साथ बनाई ही नहीं जाती।-
मुड़ के देखा बहुत पर जिंदगी दिखाई न दी....
घुट घुट के मरे है हम....
हमें खुद के रोने की आवाज भी सुनाई न दी....
लोगों को लगता है बदल गए हम....
पर उन्हें तो मेरी लाश भी ना दिखाई दी....-
वर्षों के बाद आज फिर दिल ने डराया है...
लगता है...इस ने फिर चोरी छुपे किसी से दिल लगाया है।
सुन... संभल जा बंदे....
मंजर कौन सा नया है, तेरे लिए ,तू तो एक बार सब भुगत के आया है...-
मैं BPSC परीक्षा के संबंध में चलाए जा रहे आंदोल में बिहार के समस्त विद्यार्थियों के साथ हूं....यदि आयोग कल परीक्षा लेता है और दोबारा परीक्षा के लिए और मेरे समस्त भाई बहिनों पे किए गए लाठी चार्ज के लिए जिम्मेदार पुलिस प्रशासन और मेरे भाई बहिनों और आंदोलन से सरोकार रखने वाले शिक्षकों के खिलाफ जो झूठी FIR दर्ज की उन सब पे यदि उचित और समय पे कार्यवाही नहीं होती है तो.... यदि आंदोलन में संपूर्ण विद्यार्थियों का आवाहन किया जाता है तो में up से अपने बिहार के भाई और बहिनों के साथ शामिल हूंगा और जो निर्णय लिए जाएंगे उन में मैं अपने भाई बहिनों के साथ ही खड़ा हूंगा.....अब मुझे व्यक्तिगत रूप से लगने लगा है BJP शासन के समस्त नियमों को ताक पे रख के हिटलरशाही की तरह सरकार चला रही है अब हमें भी दिखाना पड़ेगा आप हम से है हम आप से नहीं ..... मैं सिर्फ एक विद्यार्थी हू और भारत का एक जिम्मेदार नागरिक बनना चाहता हूं लेकिन प्रशासन अपने नियम भूल के हमें अपने नियम भूलने पे मजबूर ना करे हम शांति से आंदोलन कर रहे तो आप भी शांति और सम्मान के साथ बर्ताव करे अन्यथा लाठी के विरोध में लाठी उठ गई तो भारत में अशांति का माहौल होगा जो हमें स्वीकार नहीं क्योंकि ये देश हमारा है और इसे संभालना भी हमें है...इस लिए प्रशासन नियमों के विरुद्ध जा के कार्यवाही ना करे......🙏
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मैदान से दूर हुए है मैदान छोड़ा कहां है....।
पा के ही रहेंगे मंजिल को अपनी...ये हौसला अभी तोड़ा कहां है।
अभी तो वक्त है दरिया का.....
अभी दरिया ने मेरा दौर देखा कहां है.....।-
व्यक्ति के चले जाने और वस्तु के खो जाने के बाद ही उस के महत्व का आभास होता है।
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जो गया उसे जाने दो... ना उस के लिए वक्त बर्बाद कर...
छीना है जो वक्त ने तुझ से बेहतर...
देगा एक दिन बेहतरीन वो ही...
बस उस दिन के लिए खुद को तैयार कर...।
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क्या कभी अकेले बैठ के रोये हो...?
मतलब किसी पसंदीदा शख्स को खोए हो...
ना समेटो खुद के अंदर ये आंसुओं के दरिया को...
क्योंकि अभी तुम समंदर नहीं होए हो....।
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