मुसलसल चलता ये ज़िन्दगी का सफ़र,....
कब थम जाए क्या मालूम,
मुसलसल चलता ये ज़िन्दगी का.........
दर ए ख़ुदा से पैग़ाम कब आजाए क्या मालूम,।
दर ए ख़ुदा से पैग़ाम.....
जी ले ख़ुशी से,ना कर शिकायत ज़िन्दगी से ।।
बेमुरव्वत बड़ा है दिन क़यामत का...,
दस्तक किस रोज़ दे जाए, क्या मालूम...।
दस्तक किस रोज़.......।
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