उसने खुद को ही, हमसफ़र चुन लिया है
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हर पल में टूटकर बिखरते है,ख्वाहिशों के पत्ते
सुना है...
मुहब्बतों के मौसम में पतझड़ बहुत होते हैं
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पता नहीं किस मुकाम पर ले जाएगी मोहब्बत मेरी
शाख से टूटी हुई पत्ती हूं मैं और इश्क़ हवाओं से कर बैठी-
विश्वास होता है,
तो मौन भी समझ में आता है
वरना
साफ-साफ शब्दों में कही गयी बात भी समझ में नहीं आती-
मन की गिरहों में दबी हुई
अनकही बातें, शिकवे-शिकायतें
जो दिन के उजाले में छिपी रहती हैं
जीवन की जद्दोजहद में उलझी और
जिम्मेदारियों की तहों में सीमटी हुई सी हैं
रात के अंधेरे में हो जाती हैं बेकाबू
और
रात दीवारों पर रेंगती हैं
और दे जाती हैं अपने होने का प्रमाण।
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अगर आप अच्छा कर्म कर रहे हैं तो करते रहिए,
जितना आपके नियंत्रण में हो ,
जिससे आपका और आपके अपनो का कोई अहित न हो,
तो करते रहिए भले कर्म,
चाहे इसका श्रेय कोई और ही क्यों न ले....
आपके कर्म आप ईश्वर को समर्पित करते हो
यह आपके कर्मा को उत्तम बनाता है,
आपके चरित्र और व्यक्तित्व को शुद्ध करता है....
जिसका किसी को पता नहीं हो वो ईश्वर को ज्ञात है
इसलिए हमेशा सहायतार्थ सज्ज रहिए ।-
जिसे समय झुलाता है
तो जबतक इसपर हो
इसका भरपूर आनंद लो
क्यूंकि गिर गए तो
हार गए समझो।।-
जब भी बेबसी का जिक्र हुआ,
मैने खुद को आईने में पाया है
आंखो से रोया है ख़ून के आंसू ,
और चेहरे से मुस्कुराते पाया है
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