Varun Sharma   (DrVarunSharma_कलम)
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Joined 9 November 2020


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7 HOURS AGO

आज़माइश-लिए रोज़ भीड़ में,
निकलता हूँ मैं,
करीब होंगे वो लोग कितने,
जिनसे लाख-सवाल,
और चेहरे पर,
हसी का मखौटा लिए,
ख़ामोशी से रोज़ मिलता हूँ मैं...

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30 APR AT 19:19

आज कल गलतियाँ गिनवाता है वो,
सलीके से शुपाकर झूठ अपना,
हमें इश्क़ के,
पाठ पड़ता है फिर वो...

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29 APR AT 23:34

बोलना पसंद नहीं उनको,
मेरा गैरों से वो-जो खुद,
मेरे लिए झूठ बोलते-बोलते,
मुझसे ही झूठ बोलने लगगए..

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28 APR AT 18:25

हैरत में हैं,
के दिल दुखाकर वो,
खुद परेशान हैं,






शक़्स सच में मासूम है या,
खुद की शक्सियत से,
अनजान हैं..

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26 APR AT 18:42

बातों में ऐसे,
उलझाता है कोई,
गुनाह खुद के शुपाता है कोई,

गल्तीआं दोहराकर,
कसमें खाता है कोई,
फिर कसूरवार हमें ठहरता है कोई..

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25 APR AT 1:08

कोशिशें तमाम करी,
जिनसे मोहब्बतें बेहिसाब करी,
दहलीज लांघ कर,
रुक्सती में भी,
शिकायतें उन्होंने हज़ार करी..

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22 APR AT 23:43

हैरान हैं कैसे,
ख्याल,
अब मेरा स्तता नहीं,
जिसके सिवाह ज़ेहन में,
ख्याल,
कोई और आता नहीं..

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16 APR AT 15:34

मुफ़्त मिलें थे शायद,
इसलिए बार-बार बेइज्जत करना,
वो अपना हक्क समझ बैठे..

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15 APR AT 11:27

सबर मत परखना,
जिसने सिर्फ इंतज़ार किआ हो,
वक़्त किसी और को ना देकर,
बेक़दरों का सिर्फ प्यार किआ हो..

"मशरूफ खुद रहे और कसूरवार हमको ठहराए गए"

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15 APR AT 10:31

अब वक़्त नहीं उसपर,
जो बात ना करने पर,
रो दिया करता था..

"वक़्त-वक़्त की बात है"

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