Varun kumar Niranjan   (व्यस्नेश)
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Joined 8 July 2017


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4 DEC 2022 AT 21:41

दिल की जो बात है होठों से जता नहीं पा रहा हूं मैं
कितना प्यार है तुमसे बता नहीं पा रहा हूं मैं

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4 DEC 2022 AT 21:19

दिल की जो बात है होठों से जता नहीं पा रहा हूं मैं
कितना प्यार है तुमसे बता नहीं पा रहा हूं मैं

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11 JUN 2022 AT 12:12

तुम्हें मिलके समझा कि किसको सच में गुलाब कहते हैं
तुम गए तो समझ आया कि हम गलत चीज को ख्वाब कहते हैं

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28 MAY 2022 AT 20:45

जो भी कमी है मुझमें उससे थोडा छाॅंट लिया करो
इतनी नाराजगी अच्छी नहीं थोड़ा डांट लिया करो

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18 APR 2022 AT 13:02

कुछ रिश्ते बनते हैं प्यार में नादानी में
और वाकी बनते हैं दौलत के पानी में

जो लडकियाँ बिना मर्जी के ब्याही जाती हैं
उनके दर्द को कहते हैं कौन समझेगा

जिन लडकों को उठानी है जिम्मेदारी घर की
उनके मन की कहते हैं कौन समझेगा

जिन रिश्तों को निभाया जाता है मजबूरी में
पास होते हैं लेकिन होते हैं बहुत दूरी में

वो लडकी जो उस समय चुप थी आज भी मौन है
उस लडके के ख्वाब व्यस्नेश पूछता कौन है

यही दुनिया का सच और यही रीत है
शायद हक के लिए लडना जिंदगी का गीत है

तुम्हें लडना नहीं है जमाने से न उसके इशारों से
तुम्हें तो लडना है अपनों से और उनके अंदर के किरदारों से

इस लडाई में जीत कर तू कौन हो जायेगा
अंत में जीत कर हार कर तू हर हालत में मौन हो जायेगा

क्योंकि तेरे जीने का तरीका लिख दिया था किसी ने किसी जमाने में
बहुत मेहनत और अच्छी खासी तकदीर लगेगी उस लकीर को मिटाने में

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17 APR 2022 AT 1:44

शाम की बातें रात में याद आती हैं
और रातें में घुल जाता है जैसे नमक आहिस्ता आहिस्ता और उन घावों पर जाकर लगता हैं
जो रात में हरे होते हैं जिन्हें कुरेदना तुम्हारे बस में नहीं होता
जो खुद ब खुद भर आते हैं गहराती रात के साथ और वो नमकीन पानी तुम्हारे घावों से होता हुआ तुम्हारी आंखों से छलकता है और कहता है

इस दिल का किसी दिल से टकरार नहीं होगा
पत्थर दिल कह दे तुझे अब प्यार नहीं होगा

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19 JUN 2018 AT 23:10

Every body has a plan until they get punched in the mouth

Mike tyson

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19 JAN 2022 AT 22:37

हर खूबी देखना है हर हुनर आजमाना है
पर बाद में सब को बस शक्ल पर आना है

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19 JAN 2022 AT 1:23

दिल में क्या है वो होठों से भी हमें छुपाना होता है
कोई पूंछे कैसे हो तो हँस के मुस्कुराना होता है

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18 JAN 2022 AT 19:02

किसी के बोलने पर भी खामोश किसी के चुप रहने पर भी मौन है
तेरे शहर में अकेला खड़ा हूँ व्यस्नेश सोच रहा हूँ मेरे साथ कौन है

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