"मेरी ज़िन्दगी"
उम्मीद लेके मैं उम्मीद पर चलता रहा,
अँधेरे में सही, अँधेरों को किनारे करता रहा।
उड़ती पतंग की तरह मैं उड़ता रहा..
ज़मीन पे रहा, पर ज़मीन से ही मैं कटता रहा।
हवा की तरह मैं बहता रहा..
गिरता रहा, पर फिर भी मैं संभलता रहा।
कश्मकश की आँधियों में खोता रहा..
दिल रोता रहा, मैं करवट बदल बदल सोता रहा।
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पर जब खुद पे आती है तो खामोश हो जाती है..
आपन देखन मैं चला, बुरा ... read more
साँसें टूट गईं, पर मेरी रूह अभी ज़िंदा है,
दु:ख इस बात का रहा, तू रब का बनाया बंदा है।-
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Happy Writing!!
Happy Janmashtami 🙏
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खुवाईशों के पार भी ज़िंदगी होती है, ऐसा कहीं सुना था।
आज जब हक़ीक़त से मिला, तब समझ आया।-
जो भी मैंने सीखा, वो तुझे सिखाया,
बाहर से चार बातें सीख, तूने मुझें ठुकराया..
50 साल का तजुर्बा तुझे दे, 25 में बड़ा बनाया,
बहु आते ही तूने मुझे, बाहर का रास्ता दिखाया..
खुद के पेट को काट, धन संपत्ति सब जोड़ जोड़,
टॉफ़ी, चॉकलेट, घर, गाड़ी, विदेश भी तुझे घुमाया..
बुढ़ापे की आस लगा तुझसे, सपना एक सजाया,
पर बड़े होते ही मेरे बच्चे तू, माँ बाप को कहाँ समझ पाया..
माँ बाप को कहाँ समझ पाया।-
मैनें
अरमान थे शायद कुछ,
जो थे दिल में भरे,
उतारे थे जिन्हें मैनें अपने कदमों तले..
पांव छू माफी मांग,
एक लेहेर तो आई,
मिटा गई लिखे अरमान,
पर मेरी किस्मत ना बदल पाई।-