Varun Dwivedi   (©thepossiblyprime)
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Joined 26 April 2020


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Joined 26 April 2020
9 JAN 2022 AT 3:13

मैंने मुखोटों को चेहरे बनते देखा है,
ग़ैरों को कश्मकश में उलझते देखा है,
रात भर टटोलता रहा,
ख़ुद के जीने की वज़ह,
सुबह उठकर ख़ुद को मुखोटों में सजते देखा है ।

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9 JAN 2022 AT 2:52

Holding your hand tight
With the sounding breeze
Creating moment of life

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9 JAN 2022 AT 2:45

ज़नाज़े हज़ारों निकल जाते हैं
बस एक तख़्त बचाने को
क्या इस कुर्सी का मिज़ाज़ हज़ारों ज़िंदगियों का मोहताज़ है |

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8 DEC 2020 AT 14:42

मुदतें गुज़र चुकी हैं
सुकूँ की नींद सोए हुए
अब अर्थी की नींद
ही सुकूं से जीना सिखाएगी

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8 DEC 2020 AT 0:38

With that silent pleasure
Of
Immortal affection

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7 DEC 2020 AT 12:57

अगर ज़िन्दगी से थक हार के
गुमशुदा हो जाऊं
तो पीछे मत आना
क्योंकि घाटी
में तैरना सबको
नहीं आता

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7 DEC 2020 AT 12:12

तेरी सुरमई आँखों
का वो खुशनुमा
काज़ल
जिसका काम तेरी
ख़ुशबू में
इजाफ़ा करना है

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7 DEC 2020 AT 12:06


मैं हर अर्थ का निरर्थ हूँ
मैं अभिमान का स्वाभिमान
हूँ
अज्ञान हूँ
उस ज्ञान से
जिस ज्ञान से महान हूँ । 🙏

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27 NOV 2020 AT 13:36

I will be going with fake smile
As you can't comfort everyone with truth
But you can to your family with that smile

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25 NOV 2020 AT 13:35

तेरे साँसों की हर साँस गिनी है मैंने
तेरे दिल की हर धड़कन सुनी है मैंने
तेरे नज़दीक जाने में अरसा लगा दिया
क्योंकि तेरी रज़ामंदी की फ़िक्र भी की है मैंने

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