मोहब्बत, मोहब्बत नहीं अदाकारी नायाब करते हो, तुम जिंदगी बहुत अच्छी खराब करते हो, तो तन्हाई के पल जब खरोचेंगे तुम्हें, तो मिलना कभी, तोहफे में कई किस्म के जिस्म परोसेंगे तुम्हे..!
बे- बात का ख़ुश, बे- बात का नाराज़ मेरे अंदर एक नवाब रहता है, हम से कभी मिलो तो, हाल- चाल नहीं मूड पूछना, क्यू की मेरी तबियत ठीक दिमाक ज्यादा ख़राब रहता है..!
अगर आ जाऊ ज़िद्द पर तो पा ना सकू तुम्हे..? मगर शायद मुझे अब यही रुक जाने की जरूरत है दुनिया भी कम पड़ जाती है, मिलने के बाद, और...और..और के जुनून में खो देते है सुकून नहीं मिलती राहत है इसलिए हमने जाना तो हमने ये जाना की जो नहीं है वो ख़ूबसूरत है..!!