जिंदगी की किताब में कई कहानियां जुड़ती गई,
तुम्हारी कहानी के पन्नों पर "भाई",
खाली जगह सी क्यूं छूट गई!
_वर्षा
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VARSHA PATIDAR
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Joined 21 May 2021
28 MAY 2024 AT 22:53
15 AUG 2023 AT 10:26
तिरंगा मेरा है आसमां में,
सर नहीं कभी झुकने दूंगी।
धरती मां की बेटी हूं मैं,
अब बंधन नहीं होने दूंगी!
_वर्षा
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28 JUN 2023 AT 8:46
एक स्त्री की व्यथा का परिहास,
तात्पर्य है -पतन का आगाज़।
__वर्षा-
26 DEC 2022 AT 18:15
कुछ हादसे रिक्तता को
हमेशा के लिए...
तबाह कर लिया करते हैं।
__वर्षा-
14 OCT 2022 AT 12:05
हां! एक ऐसा पाषाण हूं मैं,
जो बहता नहीं है दरिया में,
टूटता नहीं किसी सैलाब से,
खामोशियों में लिप्त रहकर,
जूझती रहता हैं जो उखड़ कर।
____VaRshA-