VARSHA PATIDAR  
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Joined 21 May 2021


Joined 21 May 2021
28 MAY 2024 AT 22:53

जिंदगी की किताब में कई कहानियां जुड़ती गई,
तुम्हारी कहानी के पन्नों पर "भाई",
खाली जगह सी क्यूं छूट गई!


_वर्षा

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15 AUG 2023 AT 10:26

तिरंगा मेरा है आसमां में,
सर नहीं कभी झुकने दूंगी।
धरती मां की बेटी हूं मैं,
अब बंधन नहीं होने दूंगी!
_वर्षा

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28 JUN 2023 AT 8:54

कुछ झुकाव, समीर का रुख़ मोड़ देते हैं।
__वर्षा

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28 JUN 2023 AT 8:46

एक स्त्री की व्यथा का परिहास,
तात्पर्य है -पतन का आगाज़।
__वर्षा

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26 DEC 2022 AT 18:15

कुछ हादसे रिक्तता को
हमेशा के लिए...
तबाह कर लिया करते हैं।
__वर्षा

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15 NOV 2022 AT 18:06

सब कुछ बदल सकता है!
__VaRshA

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14 OCT 2022 AT 12:05

हां! एक ऐसा पाषाण हूं मैं,
जो बहता नहीं है दरिया में,
टूटता नहीं किसी सैलाब से,
खामोशियों में लिप्त रहकर,
जूझती रहता हैं जो उखड़ कर।
____VaRshA

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21 AUG 2022 AT 8:53

जो निरंतर हैं...वहीं समय हैं!
___वर्षा

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21 AUG 2022 AT 8:46

समझ नहीं आता,
कि समझना क्या हैं!
___VaRshA

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20 AUG 2022 AT 21:31

ना वहाँ जाने का मन था,
ना वहाँ से आने की इच्छा।
_वर्षा

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