कहीं ठहराव मिले ,तो मैं आराम कर लूं
बहुत थकावट सी है जिंदगी में मेरी
कोई सुझाव मिले ,तो मैं उससे दर्द बयां कर लूं...
उतार चढ़ाव तो सुना था लोगो से
की जिंदगी में होते रहते हैं
कोई बिन घाव के मिले, तो उससे समझौता कर लूं..
जब मन दुखी होता है तो लगता नही कुछ अच्छा
कोई नाव मिले ,तो मैं नैय्या पार कर लूं...
बुरा वक्त देखा है ,लेकिन इससे बुरा कुछ नही देखा
कहीं झुकाव मिले, तो मैं जान न्यौछावर कर लूं....
मेरी जीने की इच्छा है नहीं बिल्कुल
कोई गहरी नींद मिले , और मैं आराम कर लूं...
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"Every strike brings me closer to the next home run... read more
एक अनोखा रिश्ता है ,मेरा उससे
प्यार करता है पर जताता नही है
फिक्र करता है पर बताता नहीं है
वो रखता है मुझे अपने पास हर वक्त
गुस्सा करता है पर कुछ छुपाता नही है
मैं सोचती हूं, कहीं दूर ना हो जाऊं उससे
पकड़ता है हाथ, शरमाता नहीं है
उसकी खूबियां इतनी है ,की
कमियां झलकती ही नही
संभालता है मुझे, घबराता नही है ...-
तुम्हे क्यों लगता है
मैं नजदीक नहीं हूं तुम्हारे ।
हां ! दूर हूं तुमसे
पर दिल के करीब हूं तुम्हारे..
तुम मन से याद करना एक बार
महसूस करके देखना एक बार
वहीं आस पास ही हूं तुम्हारे..
तुम छूना फूलों को ,कांटों से दूर रख के
उन पंखुड़ियों में ही हूं मैं,
हाथों में तुम्हारे.....
देखो तुम दूर जाने की बात
मत किया करो मुझसे
मैं रह नही सकती
नमौजूदगी में तुम्हारे ......-
मुझे रुकना है ,थोड़ा ठहरना है
कुछ न कहके ,बहुत कुछ कहना है
मेरी आवाज़ ही मेरा मरहम है
सब भूल कर, खुद में रहना है
अजीब दास्तां है जिंदगी की
लोगो से दूर मुझे, मुझमें ही बहना है
तुम तरीके ढूंढते रहना, मुझे तकलीफ देने की
मुझे तो खुशियों को ,सपनो में भरना है
नर्म चादर की जरूरत नहीं मुझे
चलने पर चुभे कांटों को सहना है।।-
झूठ से शुरू किए गए रिश्ते
संभलते कहां है
बेपनाह कोई तुमसे प्यार करे
ऐसे लोग मिलते कहां है
हसरतें तो बढ़ती रहती हैं हर किसी की
कोई बरसों से इंतजार करें
ऐसे प्यार संवरते कहां है
ठहरता नहीं है कोई किसी के लिए यहां
प्यार से दूर लोग अब रहते कहां है
छोड़ देते हैं जमाने की कसमें खाकर तुम्हें
और तुम पूछते हो ,व्यस्त वो मिलते कहां है
अरे कितना अटूट विश्वास रखोगे तुम
वो पहले जैसे मिलने को अब मचलते कहां है...।।-
तुम खुद को बेहतर करते रहोगे उनके लिए
और वो तुम्हे पैसे का घमंड दिखा कर चले जायेंगे ।।-
खयालों की दुनिया में मैं थी
क्या बताऊं किन हालातों में मैं थी
समझ बैठी थी इस जग को अपना
ना समझ बातों के सवालातों में मैं थी
पथ कांटों के मिले हर वक्त मुझे
बड़ी भूल के जज़्बातों में मैं थी
अंधियारे छाए थे गलियों में मेरी
उजालों के ख्यालातों में मैं थी
प्रेम प्रसंग की जीवनी किन आधारों पर लिखूं
भ्रम जाल में फसी कायनातो में मैं थी..।।-
जो जाना चाहता हो तुमसे दूर ,उसे जाने दो
यहां जबरदस्ती कोई किसी का नहीं हुआ ।।-
आज कुछ लिखने का मन था
तुमको सुनते हुए ,
और कुछ तुम्हें बताने का मन था
शहर तो पूरा घूम लिया मैंने
बस लोगों को परखने का मन था
समझ नहीं पायी इस दुनिया के ढोंग को
अपनों के चेहरों को पढ़ने का मन था
उठा था सैलाब मेरी भी कहानी में
समझदारी के साथ बस!
शांत होने का मन था
तुम दिखे नहीं कहीं मुझे कभी मुझमें ?
आज बहुत तुम्हें ढूंढने का मन था..।।
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कुछ राही यूं ही चलते है
किसी को मिल जाती है मंजिल
तो कुछ मंजिलों के लिए भटकते है
बेवजह यहां कौन किसका इंतज़ार करे
किसी को मिल जाते है घर
तो कुछ घरों के लिए भटकते है
चर्चे तो हजारों होते है दुनिया में
किसी को मिल जाते है अच्छे रिश्ते
तो कुछ रिश्तों के लिए भटकते है
जज़्बातों की अब रही नहीं इज्ज़त यहां
किसी को मिल जाता है सच्चा प्यार
तो कुछ प्यार के लिए भटकते है ।।-