दुनिया मानती है मुझे गलत क्योंकि मैं वो नही करती जो दुनिया करती है
मैं नहीं करती वो बाते जो कानों को अच्छी लगे
मैं वो बोलती हूं जो सही है और सही लगता है
मैं लोगो को और खुद को अंधेरे में नही रखती , हिसाब आर या पार का करती हू
मैं अपने जीवन में मुझे हंसाने रुलाने का हक उसी को देती हूं जिसे मुझे खुशी मिलती है
मेरे झगड़े उनसे होते जिनसे मैं दिल से जुड़ी हू
जो दिल से उतर गए उन्हें सिर्फ मेरी खामोशी नसीब होती है, फिर वो सोना भी हो जाए तो फर्क नही पड़ता
नही हूं ऐसी की दिल में कोई और सामने कोई और , मुझे बेशक दिल में उतरने वाला न मिले पर दिल से उतरने वाला तो नजरो के सामने चाहिए भी नही
जिन्हे अच्छी लगती हूं उन्हें कबूल हूं वो नही अच्छी लगती तो बबूल हूं
पर ऐसी ही हूं
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