शब्द तो बोल है तमाशा है...
भाव की कोख़ में बताशा है...
और
मर्म की बात होठ स मत कहो..
मौन हो प्रेम की भाषा है....-
अपने दामन से करके वाबस्ता...
हर मुसीबत को टाल रखा है..
में तो कबका मिट गया होता हमराज़...
तेरी रहमतों ने पाल रखा है..-
ख़ाक मुझमें कमाल रखा है..
ऐ ख़ुदा तूने संभाल रखा है...
मेरे एबो पे डाल के परदा..
मुझे अच्छो में डाल रखा है...
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साहिल पर खड़े हो तुम्हें क्या गम चले जाना...
में डूब रहा हूं.. अभी डूबा तो नहीं.. हूं..
ऐ वादा फरामोश में तुझ सा तो नहीं हूं...
हर जुल्म तेरा याद है... भूला नहीं हूं..
!!..हर जुल्म..!!-
हकीकत और ही कुछ है..बताना और ही कुछ है..
बहाना और ही कुछ है.. निशाना और ही कुछ है.
और..ख़ामोशी से गुजारो वक्त अच्छे दिन की चाह में..
मिया जी होश में रहियो जमाना और ही कुछ है..
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तेरे ना आने का दिल में मलाल बाक़ी हैं..
हथेलियों पर अभी गुलाल बाक़ी हैं..-
हां कहूं तो है नहीं...
नहीं कहूं तो है...
इस हां... नहीं के बीच में..
कुछ ना कुछ तो हैं...-
मै शब्दों से उलझने की कोशिश कर रहा हूं..
आज फिर तुझ पर कुछ लिखने की कोशिश कर रहा हूं..
वो उनकी रचनाओं में लिखा था कुछ शैयरो ने..
उसे समझने की कोशिश कर रहा हूं..
मैं कुछ लिखने की कोशिश कर रहा हूं..
कहीं लोग तुझे पढ़ ना लें मेरी निघाओ से..
उनकी नीघाओ से बचने की कोशिश कर रहा हूं..
मैं कुछ लिखने की कोशिश कर रहा हूं..-
दिलों में झांक कर देखा खुदा नज़र आया..
हुई जो रोशनी तो सिर्फ मैं नज़र आया..
मैं डूबने ही लगा था के जां में जान अा गई
दूर तिनके सा कुछ तैरता नजर आया
ये दूरियों के सबब है या दूरियों का सबब
के हमारे दरमियां कोई तीसरा नजर आया-
जो बेमिसाल है उसको मिसाल क्या देता..
जो लाजवाब हैं उसको जवाब क्या देता..
और यहीं सोच कर तुझे गुलाब ना दे पाया..
की जो खुद गुलाब हैं उसे गुलाब क्या देता..-