आधे से कुछ ज़्यादा, पूरे से कुछ कम
कुछ ज़िन्दगी, कुछ ग़म, कुछ इश्क़ ओर कुछ हम ....।-
*एक जो दिखता है, और एक जो लिखता है ..!!
दो लोगों के साथ इश्क़ में हु,
इसलिये उलझन में हु,
एक मुझे इश्क़ करता है
खुदकी शर्तो के साथ
एक को में इश्क़ करती हूं
अपने ख्वाहिशों के अनुसार
इंसान एक ही है वो,
बस पहलू अलग है
उसके ओर मेरे प्यार के
इसलिये उलझन में हु।-
गुरबत गर हालातों की होती तो सम्भल भी जाते
मुफलिसी दिल की है तो सब हँसते है हम पर-
मुअकिल है सभी यहां खुद की बातों की पैरवी करने को,
काश कोई जज भी होता मेरे दिल की बात समझने को
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उदासी के सायो में
ख़ामोशी चिल्लाती हैं
कोई नहीं यहां आपना
नज़र दूर तक जाती है।-
दिल की किस्मत बदल ना पाएगा
बंधनों से निकल न पायेगा
तुझको दुनिया के साथ चलना है
तू मेरे साथ चल ना पायेगा।।
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बहुत दिनों बाद सकून है ज़िन्दगी में
अब कोई है मेरे लिए
जो समझने लगा है मुझे,या
दिल फिर से गलतफमी में है..,-
आज मेरी कलम उसके तलबदार से मिली
लिखने की है उसने नई उमंग भरी....।
कलम के सहारे सोचती हूँ मैं भी ये काम करू,
कविता के सहारे उसे अपना हाल कहु
क्या पता समझ आ जाये उसे मेरी कहानी....
नहीं तो रह जायेगी बनकर कलम की इक और ज़ुबानी।।-