25 NOV 2017 AT 8:57

कुछ ख़्वाबों की जमीं और खुशियों का आसमाँ।।
कुछ जज्बातों की लड़ी और एहसासों का कारवाँ।।
ले कर तो चल पड़ी हूँ आज सुबह ही घर से मैं....
क्या पता इन्हें सजाने को कोई खाली दिल ही मिल जाये....

- Vande©