VANDANA VERMA   (वंदना वर्मा)
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Joined 7 November 2020


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Joined 7 November 2020
2 SEP AT 19:45

बरसती बूंदों को तेरा नाम दे आया
छू कर निकली वो इस कदर की
ढलती हुई एक शाम दे आया।

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30 AUG AT 20:28

मलाल नहीं अब उसके जाने का
ख्याल है अब किसी और के आने का।

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23 AUG AT 21:38

अगर, बहुत कुछ पाने की आस है तो
कुछ, छोड़ने की चाह भी होनी चाहिए।

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28 JUL AT 22:54

इस आशियाने से दूर जाएगी क्या..
मौसम बरसात का है,
मेरे संग भीगने आएगी क्या..
बूंदों से स्पर्श भीगी नजरों को
मुझ पर टिकाएगी क्या..
यू अपने प्यार में मुझे
भीगा देख
थोड़ी शर्माएगी क्या...

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31 MAR AT 22:28

आहट से मेरी, तू आंखे अपनी नम देखेगा
जब वॉलेट तेरा और तस्वीर मेरी देखेगा।

वो बीता हुआ कल, तू आज देखेगा
और चेहरे पर मेरे नाज़ देखेगा।

इनायत में मेरी, खुद को संवरते देखेगा
जब छू कर मुझे हर दफा देखेगा।

खुद से किए वादे भी, टूटते देखेगा
जब आंखे तेरी और सपने मेरे देखेगा।

कि तन्हाई में भी मुझे खुद के पास देखेगा
जब शीशे में खुद को थोड़ा खास देखेगा।

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16 FEB AT 16:05

बहक कर भी हम जायेंगे कहा जान;
तेरी बाहों में ही तो आयेंगे सुबह शाम।
और यू महकना तो फितरत है हमारी;
इत्र तो यू ही बदनाम है सारी।

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7 FEB AT 19:32

तुम सागर में बहती लहरों सी
प्रिय.....
मैं शांत बैठा किनारा हूं।
तुम उस नीर से भरपूर
प्रिय.....
और मैं बस प्यासा तुम्हारा हूं।

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8 DEC 2024 AT 20:52

न कोई "पास" है
न किसी की "आस" हैं।

जब तक "सास" है
खुद ही अपने लिए "खास" है।

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29 AUG 2024 AT 20:26

जब किसी से इश्क़ सच्चा हो जायेगा;
तो, हर गम कच्चा हो जायेगा।

तू उतर तो सही, इस जंग के मैदान में;
तेरा हौसला और भी पक्का हो जायेगा।

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17 JUN 2024 AT 20:39

तूझे नफरत है मुझसे तो कह
मैं नफरत कर लू
तू थोड़ी कर मैं बेपनहा कर लू

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