आए हैं उम्मीद लेकर मयखाने में
आज पिला दो जितनी भी है आँखों में
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चांद लगता है ऐसे
ये भी आपका दीवाना हो जैसे
आ गया है सज धज के ऐसे
आपसे मुलाक़ात होगी इसकी जैसे
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जो उनके इम्तेहां में फेल हो गए
रहमतों के खज़ाने वो उनपर भी खोल गए
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सच्ची तड़प हो तो मुर्शिद तक आवाज़ पहुंच जाएगी
फिर दीदार भी होगा और मुलाकात भी हो जाएगी-
उनको देख के आएगा करार हमें
दूरियाँ मिटा दो सरकार मेरे
हज़ार गम थे दिल में दबे
इनकी इक नज़र से हो गए सब परे
इक बात बताऊँ जो सब कहना चाहतें हैं आपसे
आज अभी आप हम सबसे मुलाकात करें
कितने दिनों से है हुज़ूर ये अरमां मेरे
आप कर दीजिए ये फ़ासले ख़तम मेरे
इक बात और जो कहते मैं डरती हूँ
बख्श दीजिए सब गुनाह मेरे-
उदासियां सब छटने को बेकरार बैठी हैं
बहार ए मुर्शिद की ख़बर फ़िर आज आई है-
चलेगा जब भी ज़िक्र वफ़ा का ज़माने में
मुर्शिद आप का ही नारा लगेगा इस फसाने में
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बंद दरवाज़ों से वो रास्ते निकाल देता है
बिना कहे भी वो दिल की बात जान लेता है-