भाई कहाँ चले गए तुम?
तुम हमारे लिए अनमोल थे,
अद्भतु था तुम्हारा व्यक्तित्व।
हमारे परिवार का राजतिलक,
हमारे घर का मुकुट थे तुम।
गाँव का गौरव और सम्मान थे तुम
बड़ों का दुलार और सारे बच्चों का
प्यार थे तुम,
भाभी की हंसी और सोलह श्रृंगार थे,
बहनों का अभिमान थे तुम।
तुम बिन सूनी अपनी फुलवारी
अब आँखे नम हमारी ,
स्मृतियां शेष तुम्हारी.....
अंतिम विदा भाई...
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