नहीं चाहत मुझे किसी रंगीन सवेरे की,,
मुझे बस हर सुबह आँख खुलते ही तेरा नज़ारा चाहिए ।।
इस भागती हुई सी जिंदगी की जद्दोजहद में कहीं खो ना जाऊं मैं,,
इस भीड़ मे जो मुझे थाम ले बस वो हाथ तुम्हारा चाहिए ।।
न तमन्ना ना कोई ख्वाइश ही बाकी है मेरी अब,,
मुझे तो दिल में आने वाला अब हर एक अरमान तुम्हारा चाहिए।।
यू तो मुस्कुराती फिरती हूं मैं आवारा हवा सी,,
जो थाम कर समझे मेरा हाल तुमसे बस इतना सा सहारा चाहिए।।
कि तपती गर्मी की कड़क धूप सी हो गई है ज़िंदगी,,
ठंडी सांझ की राहत दे सके बस वो छांव तुम्हारी चाहिए।।
यूं तो कह दू हर बात मैं अल्फाजों में तुमसे,,
देख मेरी आंखें पड़ लो मेरा हाल बस वो नज़र तुम्हारी चाहिए।
भागने को तैयार हूं मैं ज़िंदगी के इन टेडे-मेडे रास्तों में,,
बस हर रोज़ दिन के आखिर मे मिलने वाला मुकाम सिर्फ तुम्हारा चाहिए।।
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