जब जब मैने किया भरोसा तब तब मन तन्हा ही हुआ हैं... जब जब मन की शाखाओं पर फूल खिलाये तब तब पतझड़ ही मिला है.... टूटे ख़्वाबों की नींवों पर जब जब मैंने पर फैलाएं है.... दीवारों सा बनकर तुमने तब तब पंख तोड़ गिराएं है....
सलाई सलाई पिरोया था मैने तुमको और खुद को बड़े सलीके से उठाया था हर एक फंदे को पल एक ना लगा तुम्हें उधेड़ डाला रिश्ते को हर फंदे के साथ बिखेर दिया तुमने जीवन की गर्माहट को रिश्ते की स्वेटर को
रास्ते में बेशक कितनी भी दूरी रही थी पर हर पल तू मेरे लिए जरूरी रहा था आज तक यह सवाल जेहन से जाता नहीं मेरे कि तूने खुद छोड़ा था मुझे या फिर तेरी भी कोई मजबूरी रही थी
किसी रोते हुए को हँसाना बड़ा मुश्किल है , इस हिन्दुस्तान में सच्ची महोब्बत को पाना बड़ा मुश्किल है , ना जाने कितनी सच्ची महोब्बत दफ़न हो गयी है इन्ही मसलों में , हकीकत यह है कि घरवालों को बताना बड़ा मुश्किल है..