उधार की ज़िंदगी का हर पल कर्ज़दार है
सुख की घड़ियाँ है और ग़म भी हज़ार है
अंत का विचार मन में एक आरंभ के साथ है
ज़िंदगी मिली है हमको वो साँसों का उपहार है
-vandana bhati
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ह्रदय में राजस्थान
इस देश की मिट्टी पर
मुझको हैं अभिमान"
💠Love to wr... read more
आज की नारी
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नहीं मैं बेबस लाचार नारी
मैं हूँ आज की नारी
अपना अस्तित्व बचाने की खातिर
करती हूँ युद्ध की तैयारी
युद्ध इन दंभी समाजों से
जहाँ नर नारी का भेद बड़ा
जहाँ युगो-युगो से शोषित हुई नारी
अबला, अपमानित और थी बेचारी
आज पिंजड़ा लेकर ही
आसमान में उड़ने की है बारी
एक सैनिक सी डटी हूँ
हर मोर्चे को संभालती मैं नारी
ना रुकूँगी, ना थमूँगी
ना डरूँगी अत्याचारों से
हर वार मेरा तीक्ष्ण है तलवार-सा
मैं पराधीन नहीं, नही किसी से मैं हारी
क्या हुआ जो मैं नारी हूँ
मैं कम नहीं नर से किसी बात में
मैं भी हूँ सब कुछ पाने की अधिकारी
मैं हूँ आज की नारी।
-vandana bhati-
उम्मीद
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अंधेरे में सदा दीपक जलाए रखना
तुम उम्मीद ना खोना, अपना हौसला बनाए रखना
राह मिल जाएगी, मंजिल तक होंगे क़दम
निराश ना होना, तुम आशाओं की मशाल जलाए रखना
बाधाओं के शूल पग में चुभ भी जाए तो डर कैसा
तुम परिंदे की तरह आसमान में उड़ने का हुनर रखना आसमान भी तेरा, जमीन भी तेरी होगी
बस, तुम जीवन की हर कसौटी पर स्वयं को कसते रहना-
यादों का सिलसिला चलता है, जब भी हम यादों में खो जाते हैं
बेसब्र आँधियाँ चलती है दिल में, आँखों से अश्क़ बहाते हैं
परिंदे सा दिल कहाँ समझता है, यादों के पंख खुलते ही जाते हैं
इस तनहाई भरे आसमाँ में, घनघोर बादल से छा जाते है
उमड़ घुमड़ कर बरसती है, कुछ मीठी यादों की बरसातें
भीगी-भीगी पलकों पर, फिर इंद्रधनुषी रंग सिमट आते हैं
-vandana bhati
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राधा मन में मोहन बसे, मोहन मन में राधा
राधा-कृष्ण की प्रीत बिना, प्रेम का चंदा आधा-
कब तक इस ज़िंदगी का वज़ूद रहेगा
इक दिन इस दुनिया को छोड़ कर जाना पड़ेगा
मौत से कब कोई जीत सका है
जीवन के पिंजड़े से इक दिन पंछी उड़ेगा
परछाई भी रोक न पाए अपने अंश को
मौत से तो नाता उम्र भर का रहेगा
सुख-दुख का मेला तो ज़िंदगी ने दिखाया
ज़िंदगी के बाद क्या अहसास बचेगा
-vandana bhati
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ज़िंदगी में क्या हार क्या जीत होती है
होती है तो सिर्फ़ सीखने की बात होती है
हार हार कर कोई ज़िंदगी जीत जाता है
जीत कर भी कोई ज़िंदगी लाचार होती है
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दिल पे हुई धड़कनों की जो मीठी दस्तक
दिल से दिल तक पहुँच गई हर बात हम तक
ख़ामोश ज़ुबां ने इज़हार जताया नज़र नज़र में
दस्तूर निभाया वफ़ा का हमने इश्क़ की हद तक
ज़माने ने इम्तिहान के पर्चे भेजे हमारे लिए
हर इम्तिहान से लड़ गए हम इस सरहद पर
दो दिलों की दास्तान किसी ने ना जानी
इश्क़ की बात थी पहुँच गई दिल से दिल तक
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ये हसीन वादियाँ ये और सितारों से सजा आसमाँ
बर्फ़ की चाँदनी से रोशन हो रहा है ये सारा जहाँ
जैसे हसीं चाँद उतर आया है जमीं पे फ़लक से
और वादियाँ सुनाने लगी कोई मोहब्बत की दास्ताँ
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कोयला होय न उजला सौ मन साबुन धोय
दुष्ट प्रवृत्ति बदले नही सज्जन कैसे होय
सीख ज़माने से मिले फिर भी अज्ञानी होय
मन पर मैल की परत चढ़ी ज्ञानी कैसे होय
कागा कभी चुगे ना मोती हंस कभी न होय
कांव कांव करता फिरे कोयल सी बानी कैसे होय
मीठी नदिया मिले सागर में सागर मीठा न होय
दुर्जन सदा दुर्जन रहे दुष्ट प्रकृति बदले न कोय
-vandana bhati
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