सर्द है मौसम, चली ठंडी बयार है ! कंपकपाती ठंडी में, जम जाती हर बात है ! ठण्ड है इतनी कि , जम गए जज़्बात है ! जम गया है खून सारा, जम गए हालात है ! धुंध छाई है चारों ओर , नैनो में क़ैद नज़ारे है ! सुनाई न देता कुछ हमे, सन्नाटे यूँ चिल्लाते है !
अश्कों से भिगो कर, खून से सींच कर लिख दी पाती मैंने पिया के नाम की देख उसे वो बौखला गए जवानी के चोंचले बतला गए जो न जाने मेरे अश्कों का मोल खून -ए-जिगर का मोल क्या जानते मैं ऐसी ही हूँ क्या जानते नहीं जानते हैं लेकिन मानते नहीं मेरा प्यार अल्हड़ है अल्हड़ ही रहेगा समझकर कोई प्यार कैसे करेगा? 🤔 काश! के तुम मेरा दर्द समझ पाते 😔 मोहब्बत की गहराई को जान जाते फिर अश्क की जगह इत्र ने ली होती खून से नहीं पाती,स्याही से लिखी होती।।