IS BEING "BRAVE"
BUT
IS BEING "REALISTIC"
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और मै घर में उनको..
मानो हर तरफ अजीब तन्हाई और खामोशी का असर हो...
और दुआएं भी बेअसर हों...
और हर दिशा ये कह रही हो...
कि ये साथ बस यहीं तक का था...
क्योंकि तुम उनकी बस अब "कहने को हमसफर" हो।
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दिल तो छोटा सा था।
पर अरमान बड़ा था।
जमीन तो काफी थी चलने को,मगर।
सामने खुला आसमान पड़ा था।।।-
हां कुछ खो गया था...
बस वही ढूंढ रहा था...
कि अचानक तू मिल गया...
और दिल का खुशियों से राबता हो गया।।
सुकून कि तलाश की और तुझसे वास्ता हो गया।।।-
दिल को उसकी हद तक न रुलाइये...
दिल ही तो है...टूट कर बिखर जाएगा...
न चाहते हुए भी बिफर जाएगा...
और कभी फिर चाह कर भी न निखर पाएगा...-
अपनापन दिखाने की वो इंतहा कर गये..
हंसाने आए थे...रुला के चल दिए...-
मुझे हमेशा लगता था कि तुम मेरे अंदर हो..
पर आज जब तुझे पुकारा तो अंतर्मन मौन था...
रुह ने भी पूछा कि तूने जिसे पुकारा वो कौन था?
मुझे भी कुछ समझ नहीं आया..
कि ये मौन तेरी आदतन अठखेली है..
या सच्चाई का आईना...-
इन ख्यालों के..
नही तो ये रात यूंही बेजार नहीं होती..
लगता है भा गया है वो..
नही तो ये रुह यूंही बेकरार नहीं होती..
मालूम है कि करना पड़ेगा इंतजार..
नही तो ये धड़कन यूंही फरार नहीं होती..
हां हो गया है तुमसे प्यार...
नही तो ये सांस यूंही तलबगार नहीं होती..
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कि क्या जीना है...
उम्र को.. कि जिंदगी को...
और जब तक असलियत से इत्तेफ़ाक होता है..
तब तक या तो जिंदगी खर्च हो जाती है..या उम्र..-
तेरे जाने का वक़्त..
और इन लम्हों का सच...
क्योंकी देर से कही गई बातें..अक्सर इलज़ाम लगा जातीं हैं...-