Vaishnavi Sharma   (Vaishu the writer ✍️)
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Joined 6 June 2020


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Joined 6 June 2020
11 DEC 2022 AT 17:11

इश्क़ में उसके सँवर गई हूँ
थोड़ी सी जिद्दी और थोड़ी बिगड़ गई हूँ
वो पगला मोहब्बत इतनी शिद्दत से करता है मुझसे
की चाहत में उसकी हर हद से गुज़र गुजर गई हूँ

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29 SEP 2022 AT 22:05

एक दिन मेरा ये संघर्ष भी
छू लेगा मेरे सपनों की ऊँचाइयाँ
दबे जज़्बात और छुपे कुछ राज
ही लिखतें हैं मेरे अस्त्तिव की गहराइयाँ

मुझे मुझसे बेहतर कोई समझ न पाया है
शायद कोई इन तूफानों में उलझ न पाया है
मग़र मैं उलझी हूँ और खुद को सुलझाया भी है
फिर एक स्थिर अस्तिव को बनाया भी है
बना के खुद को मज़बूत दूर की हैं खुद की कमियाँ
मेरे यही कुछ राज लिखते हैं मेरे अस्तिव की गहराइयाँ

आगे क़दम बढ़ाया है अब मुड़कर पीछे न देखूँगी
आएगी कितनी भी मुसीबत हँसकर सब झेलूँगी
एक दिन मुक़द्दर को भी झुकना पड़ जाएगा
जब ये मेरा जनून हद पार करने लग जाएगा
बना के काबिल खुद को छोड़नी है अपने इस जीवन कुछ परछाइयां
मेरे यही कुछ जज़्बात लिखते हैं मेरे अस्तित्व की गहराइयाँ

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26 SEP 2022 AT 12:34

Dil me bhi aate ho
Khawabon me bhi satate ho
Phir hakikat kyon meri jaan
Mujhse dooriyan banate ho

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23 SEP 2022 AT 22:06

Journey of unexpectible experiences

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23 SEP 2022 AT 21:59

Raabta hai unse kuch aisa hmara
Wo jindgi me na hokar bhi Dhadkan me samae hain

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18 SEP 2022 AT 22:22

मेरा ही दिल मुझसे इंकार कर बैठा
था करने को वफ़ा
जब देखा था उनको पहली दफ़ा
धड़कन रुक सी गई थी
नज़रे झुक सी गई थी
कहने को तो था बहुत कुछ
मग़र सोच मेरी रुक सी गईं थी
मैं उसमें ही हो चुकी थी पूरी तरह लापता
जब देखा था उनको पहली दफ़ा
उसने जब पहली बार था मुझे निहारा
बस उसी वक़्त हार गया था ये दिल हमारा
वो पहली मुलाक़ात के बाद ही
चढ़ने लगा था मुझे उसके इश्क़ का पारा
हो चुकी थी शायद हमे मोहब्बत एक तरफ़ा
जब देखा था उसको पहली दफ़ा

Vaishu_the_writer✍️

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11 SEP 2022 AT 13:14

चल रही इस दिल की हलचल लिख दूँ
आ आज तुझ पर एक ग़ज़ल लिख दूं

आँखों में जब से अपने तेरी मौजूदगी पाई है
तब से ये मेरी आंखें रातों में सो न पाई हैं
आँख बंद करती हूँ तो तू नज़र आ जाता है
और फ़िर तो जैसे मन ने तूफ़ां सा उठ जाता है
चल आज इस तूफ़ां की पहल लिख दूं
आ आज तुझ पर एक ग़ज़ल लिख दूँ

नहीं हुई थी पहले कभी इस कदर बेकरारी
शायद इस दिल को लगने लगी है तेरी बीमारी
बेचैन रहता है अब ये दिन रात
उम्मीद में बस रहता है कि बस हो जाए एक दफा मुलाक़ात
चल आज इस बैचेनी का हल लिख दूँ
आ आज तुझ पर एक ग़ज़ल लिख दूँ
Vaishu_the_writer✍️

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3 JUL 2022 AT 21:40

चल रही मन में मुश्किल लिखते हैं
जनाब हम शायरी नहीं अपना दिल लिखते है

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2 JUL 2022 AT 22:40

मोहब्बत में शर्तें नहीं होती मेरी जान
बस यूँ ही बेइंतहा किसी को बेवजह चाहा जाता है

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1 JUL 2022 AT 18:01

अपने इस हालात की
वो तो दिल लगा के भी दग़ाबाज़ी करते रहे
और हम मोहब्बत समझ के बेवजह ही उनपे मरते रहे

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