दिल तसल्ली कहाँ
देता है जुदाई में...
आँखे भरी- भरी सी
रहती हैं तन्हाई में...
अपना बेगाना कोई
अच्छा नही लगता...
असर होता नहीं
किसी दर्द की दवाई में..-
पता लगा तेरे जाने के बाद...!!!
उदासी
लेकर चले आये तुम
क्या पहले कम
खामोशी तुम्हारी थी
झूठ कहती नहीं आँखे
सर उठा के कहो रात
करवटों में
जाग कर गुजारी थी...
गम मोहब्बत के छिपाने से
छिपा नहीं करते बे- वजह तो
न इतनी बेकरारी थी...-
उदासियाँ खुमार की
कुछ बातें तेरे प्यार की
दिल दुखाती हैं रोज
हद तेरे इंतजार की
कौन सोता है रातों को
नींद आती किसे हैं..
पर तुम्हें लगती हैं
बातें सब बेकार की...-
दूर पास के किस्से
पुराने हो जाएं....
तुम मिलने आ जाओ
खत्म बहाने हो जाए...-
हमें आता नहीं
मौसम की
तरह बदलना
यूँ तो मोहताज बहारें
रही हैं मेरी...
मैंने तस्वीर की तरह
किसी को सजाया नहीं
बरसों खाली दीवारें
रही हैं मेरी...-
रात फिर रहा
इंतजार आँखों में
सहर होने तक
हर लम्हां तेरा हो गया
क्या लिखते जब..
न रहा तस्सवुर में तू
बैठे- बैठे सवेरा हो गया..-
खामोश रहते हो तो
खफा लगते हो
कसम तुम्हारी सबसे
जुदा लगते हो
मेरे नसीब मे न लिखा है
साथ तेरा.. किसी और के
मुकद्दर की दुआ लगते हो
बड़ा सुकून सा मिले हैं
सोच के तुमको..
हमें तो दर्दे- दिल की
दवा लगते हो...-
पहले तन्हाई से मोहब्बत हुई
अब अंधेरे से प्यार हैं...
रौनकें सब गुम हो गयी...
जो मिलने न आयेगा अब कभी
बस उसी का इंतजार हैं....-
पुराने कागजों में...
पुरानी तस्वीरें...
कुछ इस तरह..
रह जाऊंगी...
दिल में तेरे जैसे....
हाथों की लकीरें-
हमनें तो कैलेंडर ही
उल्टा कर दिया...
जो झूठी उम्मीदों
की तारीख
लेकर आती हैं..-